Book Title: Anekant 1971 Book 24 Ank 01 to 06
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 284
________________ २६२, वर्ष २४, कि.६ मावश्यक सामग्री ..का प्रबन्ध किया और बिना कुछ . सामना करने के लिए केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड ने पारिश्रमिक लिए प्रार दिन के अन्दर हवाई पट्टी की शिक्षा के संक्षिप्त पाठ्यक्रम और उत्पादन एकर जैसे मरम्मत कर दी। प्रतिरक्षा अधिकारियों के प्राकलन के विशिष्ट कार्यक्रम शुरू.करने के लिए सन् १९७१-१९७२ अनुसार उन्हें इस प्रकार की मरम्मत में एक महीने से में अपने बजट में से ६५ लाख रुपये की धनराशि ऊपर लगता। निर्धारित की है। समस्या की विशालता को देखते हुए गुजरात बोर्ड की अध्यक्षता का दौरा यह धनराशि अपर्याप्त है, इसलिए बोर्ड ने जवानों के गुजरात राज्य बोर्ड की अध्यक्षा ने युद्ध-पीडित परिवारो के लिए कल्याण कोष की स्थापना की है और लोगों से मिलने के कुछ, बनामकण्ठा और जामनगर जिलों बोर्ड की अध्यक्षता में इस कोष मे दिल खोलकर दान के सीमावर्ती गांवों का निरीक्षण किया। वह दन्तिवाडा, देने के लिए जनता से अपील की है। विशिष्ट मावश्कभज, जामनगर, अहमदाबाद, धंगाना और प्रोखा मे तानों और स्थानीय परिस्थिलियों को दृष्टि मे रखते हुए सेना मुख्यालय के सैन्य अधिकारियों से मिली ताकि शत्र और कल्याण योजनाए शुरू की जाएगी। बोर्ड द्वारा सहाके हवाई और समुद्री हमलो के कारण क्षतिग्रस्त समुद्र यता प्राप्त ६ हजार संस्थानों के अलावा, अब भी बहुत तटवर्ती गांवो मे कल्याण विस्तार परियोजनाए संचालित से लोगो की विशाल सख्या ऐसी है जो समाज की सेवा की जा सके और गाव वालों के मनोबल को ऊचा के लिए आतुर हैं. परन्तु नेतृत्व और समुचित मार्गदर्शन उठाया जा सके । इन क्षेत्रो मे दर्जीगिरि पोर बनाई के के प्रभाव में उसका प्रभावकारी और ठीक ढंग से उपएकक, बालवाडी तथा महिला मडल और महिलामो के योग नही किया जा सका है। केन्द्रीय समाज कल्याण लिए वयस्क साक्षरता कक्षाए स्थापित करने का प्रस्ताव बोर्ड देश भर के सामाजिक कार्यकर्तामो पौर स्वेच्छिक संस्थानों को प्रोत्साहित करने का सदैव यत्न करता रहा जवानों के परिवारों के लिए कल्याण कोष है ताकि वे न केवल समाज के दुर्बल वर्गों के लिए विशिष्ट केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड ने सारे देश के स्वेच्छिक कार्यक्रम सगठित करने की दिशा में अपने प्रयासों को कार्यकर्तामों को सक्रिय करने, बाहरी प्राकान्तायो की एकजुट कर सके बल्कि राष्ट्रीय स्थानीय स्तरों पर मानव चुनौती का सामना करने तथा बाढ़ और तूफान जैसी देवी या प्रकृति द्वारा प्रस्तुत चुनौती का सामना करने के लिए विपत्तियो का मुकाबला करने के अलावा, सभी अवसरों ___समुचित वातावरण की दृष्टि कर सके और जनता को पर स्फतिमान नेतृत्व प्रदान किया है। युद्ध में मारे गए प्रोत्साहित कर सकें। या अपग हुए जवानों के परिवारो पुनर्वास की चुनौती का शोध-कण परमानन्द जैन शास्त्री हिन्दी साहित्य के कवियों का प्रभी तक जो इतिवृत्त सा साहित्य रचा गया है जिस पर तुलनात्मक और समा. संकलित हुपा है, उसमे बहुत से कवियों का इतिवृत्त लोचनात्मक निबन्धों के लिखे जाने की प्रावश्यकता है। संकलित नहीं हो सका, इतना ही नहीं किन्तु उनका वर्तमान में हिन्दी साहित्य पर जो थीसिस (निबन्ध). नाम और रचनादि का कोई परिचय नही लिखा लिखे जा रहे हैं, जिन पर लेख को को यूनिवर्सिटियो से गया । उसका कारण तद्विषयक अनुसन्धान की कमी है। पी० एच०डी० की डिग्री मिलती है। उग थीसिसो मे अन्य भाषाम्रो की तरह हिन्दी भाषा मे जैनियो का बहुत अनेक स्थल और भद्दी भूले रहने पर भी उनको सुधारने .

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