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साहित्य जगत के कीर्तिमान नक्षत्र तुम्हें शतशः प्रणाम !
अनूपचन्द न्यायतार्थ
प्रो महामना मानव पुनीत !
प्रो गुण गौरव गरिमा विधान ! ___ो देवि सरस्वति वरद पुत्र ! "
निःस्वार्थ मूक सेवक महान !!
चारित्र निष्ठ वृढ़ श्रद्धानो!
माध्यत्मिक श्रेष्ठ विचारवान ! निर्भीक समालोचक सच्चे
प्रो ठोस कार्यकर्ता महान !
प्रो परम सुधारक राष्ट्रीय ! प्रो सामाजिक गौरव अपार ! प्रो परिश्रमी कर्मठ नेता !
प्रो उच्चकोटि साहित्यकार !
सिद्धांत शिरोमणि! विद्वदवर! प्रो अधिकारी विद्वान् एक प्रो सफल समीक्षक, कवि, लेखक !
प्रो पत्रकार जागृत - विवेक !
प्रो भारतीय संस्कृति पोषक ! विद्वान् विचारक नीतिवान ! स्वाभाविक सहज विकास युक्त
अति सौम्य सरलता मूर्तिमान !!
नूतन प्राचीन विचारों का
था सम्मिश्रण तुम में अपार । क्या वृद्ध तरुण, क्या बाल प्रौढ
थे सभी उपकृत हर प्रकार ।।
प्रो पुरातत्त्व प्रेमी! शोधक !
इतिहासकार, साहित्यकार ! __ रचयिता भावना-मेरी' के
___ 'युगवीर' 'जुगत मुख्तारकार' !
तुमने समग्र निज जीवन को
साहित्य और सेवा-समाजहित. खपा दिया प्राचार्य श्रेष्ठ !
संदेह न इसमें लेश माज ।
तुमने जन-मानस बदल दिया
असमय में निधन तुम्हारे से नकली ग्रन्थों की पोल खोल
हो गया अचानक वज्रपात । तथ्यों को खोज निकाला है
जीवन - निर्माता, पथ दर्शक इतिहास कसौटी तोल तोल॥
खो गया हाथ से अकस्मात् ॥ इतिहास बदल डाला तुमने विद्वज्जन बोधक सुगण-धाम साहित्य-जगत के कोतिमान नक्षत्र तुम्हें शतशः प्रणाम ।।