Book Title: Anekant 1968 Book 21 Ank 01 to 06
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 304
________________ वीरसेवामन्दिर में मु० स० के निधन पर शोकसभा २८१ निधन जैन समाज का दुर्भाग्य है। उन जैसा साहित्य जी, ब्र० शीतलप्रसाद जी, श्री अर्जुनलाल जी सेठी, बाबू महारथी होना मुश्किल है। उनकी सतत साहित्य-सेवा ज्योतिप्रसाद जी मादि ने जो सुधारवादी विचार दिये जैन साहित्य को अमूल्य देन है। उनसे मैने बहुत कुछ उनको मुख्तार सा. ने शास्त्रीय प्रमाण देकर पुष्ट किया सीखा है अनुभव किया है और उनके निर्देशानुसार कार्य जिससे सुधारवादी दृष्टिकोण को बल मिला। किया है । तथा उनके साथ बैठकर काम करने का मुझे साहूजी ने कहा कि वीर सेवामन्दिर के माध्यम से वर्षों अवसर मिला है। उन जैसा प्रतिभा सम्पन्न शोधक मुख्तार सा० ने जैन साहित्य और इतिहास के अध्ययन अनुवादक और सम्पादक होना वास्तव में कठिन है। अनुसन्धान का जो कार्य प्रारम्भ किया था उसे आगे संस्थापित वीर सेवामन्दिर और अनेकान्त पत्र दोनों ही बढाने का प्रयत्न किया जावेगा। अन्त में सबने खड़े उनके जीवन के अभिन्न अंग है, और वही उनके स्मारक होकर दिवंगत प्रात्मा के लिए शान्ति लाभ की कामना हैं, यद्यपि उनकी कृतियां जब तक संसार में रहेगी उनका की। तथा निम्नलिखित शोक प्रस्ताव पारित किया। नाम तब तक अमर रहेगा, मैं उन्हें अपनी हार्दिक श्रद्धाजलि अर्पित करता हूँ। शोक प्रस्ताव ___ डा० गोकुलचन्द्र जैन ने कहा कि मुख्तार सा० जिस बीर-सेवा-मन्दिर के संस्थापक तथा जैन साहित्य आस्था दृढ़ता आर उत्साह क साथ अन्त समय तक शाध- और इतिहास के ख्याति प्राप्त विद्वान आचार्य श्री जुगलखोज और सम्पादन के कार्यों में लगे रहे वह नई पुरानो किशोर जी मुख्तार के देहावसान के समाचार ज्ञातकर सभी पीढियों के लिए प्रेरणाप्रद है । इस अवसर पर ला० हमें अत्यन्त दुख हुआ है। जैन समाज के पुनर्जागरण राजकृष्ण, जैन राय सा. ला. उल्फतराय, बा. माई दयाल तथा प्राचीन जैन वाङ्मय और इतिहास के अध्ययन और जैन, ला० श्यामलालजी ठेकेदार और बाबू महताब सिंहजी अनसन्धान के क्षेत्र मे मुख्तार साल की उपलब्धियां और आदि ने भी अपनी श्रद्धाजलि अर्पित की। सेवाएँ अर्ध शताब्दी से अधिक दीर्घकाल में परिव्याप्त है। __ अध्यक्ष साह शान्तिप्रसादजी ने अपने भाषण में कहा जो उनके देहावसान के उपरान्त भी सदा अमर रहेगी। कि मुख्तार सा० स्वयं एक सस्था थे। वे बड़े सुधारक साह शान्तिप्रसाद जी की अध्यक्षता मे वीर सेवामन्दिर और बिद्वान थे । साहूजी ने मुख्तार सा० की शोध और द्वारा आयोजित दिल्ली नगर की विभिन्न संस्थानों, प्रतिअनुसधान कार्य की सराहना करते हुए कहा कि उन्होने ष्ठित नागरिकों तथा विद्वानों की यह सभा उनके निधन तुलनात्मक अध्ययन की परम्परा जारी रखते हुए बहुत पर हार्दिक दुःख व्यक्त करती हुई कामना करती है कि बड़ा कार्य किया है। दिवंगत आत्मा को शान्ति तथा शोक सतप्त कुटुम्बीजनों आपने कहा कि जैन समाज मे पुनर्जागरण और को धैर्य प्राप्त हो। प्रेमचन्द जैन सुधार का जो आन्दोलन हुग्रा तथा महात्मा भगवानदीन मंत्री वीर सेवामन्दिर दो श्रद्धाञ्जलियां आचार्य शिवसागर जी महाराज का स्वर्गवास श्री दानवीर सेठ गजराज जी गगवाल का जयपुर में महावीर जी में दिनाक १६-२-६६ को हो गया । प्राचार्य दिनांक २६-१-६६ को साधारण लम्बी बीमारी के बाद श्री के जीवन में अनेक विशेषताएं थी जो अन्यत्र दुर्लभ अचानक स्वर्गवास हो गया। आपके द्वारा निर्मित सुखहै । उनका चरित्र बल ऊँचा था। वे शान्त स्वभावी और देवाश्रम चिरकाल तक आपकी स्मृति को उज्ज्वल करता सौम्यमूर्ति थे । वे समन्वयवाद में विश्वास रखते थे। रहेगा। आप अच्छे धार्मिक भोर समाजसेवी थे। हमारी अच्छे तपस्वी प्राचारनिष्ठ थे उनके चले जाने से महान कामना है कि दिवंगत आत्मा पर लोक में सुख-शान्ति क्षति हुई। हमें उनके उपदेशों से प्रात्म-लाभ लेना प्राप्त करे। प्रेमचन्द जैन चाहिए। दिवगत आत्मा के लिए हमारी श्रद्धाजलि है। ' ' मंत्री वीर सेवामन्दिर .

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