Book Title: Anekant 1968 Book 21 Ank 01 to 06
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 303
________________ २८० अनेकान्त विद्वानों को भी अब मुनि जी से प्रायश्चित्त की मांगनी विद्यानन्द जी की सूझबूझ" पुस्तक प्रकाशित करने की करनी चाहिए।" आवश्यकता महसूस नहीं होनी चाहिए थी। अस्तु जो होना था सो हो गया। जैसा मुख्तार सा० ने चाहा वैसा तो नही किन्तु हाँ मुनिचर्या पर समालोचनात्मक एक लेख मैने जैन सन्देश (३) संस्मरण ता० १६-५-६५ में अवश्य लिखा । मुख्तार सा० के उक्त अभी इसी सन् १९६६ में मैने उन्हें लिखा था कि पत्र का सारांश डा० श्रीचन्द जी एटा (मुख्तार सा० के आप के लिखे हुए जो--"सर्वोदय तीर्थ के कुछ सूत्र" भतीजे) की लिखी पुस्तक "मेरा नम्र निवेदन" (ता० नामक ° नामक जो १२० सूत्र है, उनमें कुछ घटा बढी करके उसे २४-३-६५) मे पृष्ठ ६-७ पर अंकित है। [फिर भी वही ह ऐसी पुस्तक बना दें कि जिससे—“जैन दर्शन मे मुक्ति पत्र (असल) मै साथ में भेज रहा हूँ।] मार्ग तथा तत् सम्बन्धी विश्व द्रव्य व्यवस्था" का वर्णन अच्छा होता, उब कि मुनि जी मुख्तार साहब के आ जाय और उसका नाम "जिन गीता" रख दिया जाय। समाधान मे प्रकारांतर से आलोचको की प्रशसा मे एक उत्तर में उन्होंने लिखा था कि-दूसरे काम बहुत से है लेख ता० १६-७-६४ को जैन सन्देश में प्रकाशित कर फिर भी मैं ऐसा भी सोच रहा हूँ। चुके थे। तब सितबर मे मुख्तार सा० को “नये मुनि किन्तु शायद वे यह काम न कर सके होगे? . वीरसेवामन्दिर में आचार्य जुगलकिशोर मु० सा. के निधन पर शोकसभा देश के सुप्रसिद्ध साहित्यकार एव वयोवृद्ध ऐतिहासिक प्रात्मा के प्रति भावभीनी हार्दिक श्रद्धाजलि अर्पित की। विद्वान प० जुगलकिशोर जी मुख्नार के निधन पर वीर. सबसे पहले मत्री प्रेमचन्द जैन कश्मीर वालो ने सेवामन्दिर, राजधानी के साहित्यिक, सामाजिक एव श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके कार्यों की सराहना की। जैन समाज ने गहरा दुख प्रकट किया। और उनके साहित्य को प्रामाणिक बतलाया । मुख्तार साहब ने इतिहास और साहित्य का जो सुप्रसिद्ध विचारक श्री जैनेन्द्र कुमारजी ने कहा कि महत्वपूर्ण शोध कार्य किया वह महान है । उनका सारा ही स्वर्गीय मुख्तार सा० की सेवाए अविस्मरणीय है। उन्होंने जीवन जैन साहित्य के प्रचार-प्रसार और भगवान महावीर जो सेवाएं की है उनसे समाज उऋण नहीं हो सकता। की वाणी को देश विदेश में पहुँचाने में लगा रहा । वीर- भारतीय ज्ञानपीठ के मत्री बाबू लक्ष्मीचन्द जी ने कहा सेवामन्दिर उनकी शोध खोजका अनुपम कीर्ति स्तंभ है जो कि उन्होने जो सेवा की है वह महान है। आज भी विचार-धारा को पुष्ट करने में लगा हुया है। श्री यशपालजी ने कहा कि मुख्तार सा० के निधन __ मुख्तार साहब के प्रति अपनी श्रद्धा भावना प्रगट से जो क्षति हुई है वह पूरी नही हो सकती। आपने । करने के लिए वीर सेवामन्दिर की ओर से श्रीमान् साहू सुझाव दिया कि मुख्तार सा० क प्रामाणिक जीवन चरित्र शान्तिप्रसाद जी की अध्यक्षता में आयोजित शोक सभा में प्रकाशित किया जाय और अप्रकाशित साहित्य को प्रकाश दिल्ली के प्रतिष्ठित नागरिको, वीर सेवामन्दिर के सचा- में लाया जाय । लक तथा सदस्य गणो और जैन धर्मावलम्बियों ने दिवगत परमानन्द शास्त्री ने कहा कि मुख्तार सा० का

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