Book Title: Anandghan Chovisi
Author(s): Sahajanand Maharaj, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 13
________________ सहिजे, पास पदनु अर्थ जालि मां नांखे, शब्द नु अक्षरार्थ जोइये तो इम ; पर मोटा विबुध, भाषा ने सहिज जाणीने अर्थनोकर्ता अर्थ करतां विचारणा थोड़ी राखै परं एहवी भासा नो तो अर्थ, अर्थ करता ने जरूर विचारी ने अर्थ लिख्यूं जोइये किम “सितं वद एक मा लिखः" एहवू कह्य छै ते माटे, फिरी आगल पिण लिखतौ थोडु विचायु यथासूत्रकर्तायें प्रथम गाथा ना अंत पद मां ए पाठ कह युंतिम तिम अलगुंभाज ए पद नु अर्थकर्तायें लिख्युतिम तिम अलगु अवलु मुक्ति मार्ग थी विप. रीत भाजै छै एहवु टब्बा में लिख्यु पर अलगुं शब्द नु अवलं किम थाय तेथी अर्थकर्तायें आंई तौ अर्थ करते मूल थी थोड़ी विचारणा कीनी। फिरी ते 'समझे न मारौ सालौ" एहनु अर्थ लिख्यु माह रोसालौ ते रीस घणी मन मां इविंत इम लिख्यु ने मन मां रोस बिना काम क्रोधादि मन स्यु नथी संभवता तेथी माहरौ सालौ तो न संभव फिरी तेहनु पर्यायार्थ करी ने लिख्यू छै सालो ते देश विशेष धणियाणी ना भाई ने कहै छै ते देश विशेषे नो जइये लिख्यु जोइये जो सर्व देश विशेषे धणियाणी ना भाई ने सालौ न कहिता हुवै कोई देशे कहिता हुवै तौ परं सर्व देशो मां धणियाणी ना भाई सालौ ज कहै छै तइयैते देश विशेषे धणियाणी ना भाई न सालौ कहै ए लिखवानु स्यू कारण" (श्री कुन्थु जिनस्तवन बाला० ) ए तवनानो अर्थ करते अर्थ कारके "पर वडै छांहड़ी जिह पडे" एह पदनु अर्थ पर कहितां पुद्गलनी बड़ाई नी छाया तथा स्व इच्छा जिहां पडै तेहिज पर समय नौ निवास एतले जे इच्छाचारी अशुद्ध अनुभव तेहिज परसमय कहिये। ए अक्षर लिख्यां पिण पर नो तो पुद्गल थाय परं वड़ शब्द नु बड़ाई अर्थ किम संभवै नै बड़ाई सी? वृक्षनी छाया संभवै परं अर्थ कर्तायें अर्थ करतें कांइ थोडं विचायु जणाय छै। फिरी एक पखौ लखि प्रीत नी तुम साथे जगनाथ'' हे जगनाथ तुम साथे एक पखी प्रीत लाखे गमे नरमी छ। सरागी ते लाख गमे शुद्ध व्यवहारं तुम साथे प्रोत बांधनार छै प्रथम तो ए Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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