Book Title: Alpaparichit Siddhantik Shabdakosha Part 1
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ प्रकाशकीय आ अवसर्विणी कालना दुःपम आरामां चरमशासनपति श्रमण भगवान महावीर स्वामीना शासनमां शासनना पुण्य प्रतापे ते ते समये आचार्य भगवंतो 'आगम' वगेरे साहित्यनो उद्धार, पुनरूद्धार करीने आ कलिकालमां वीसमी सदीमा जे विद्यमान राख्युं छे ते आपणुं अहोभाग्य छे. तेथी तेवा साहित्यने प्रकाशन करवा माटे अमारी आ संस्था सं. १९६४मां प. पू. आगमोद्धारक गुरुदेवधीना उपदेशथी स्थपाई हती. आ संस्था मारफत अमे आज सुधी १०० ग्रन्थो प्रकाशीत करी चूक्या छीअने अमे १०१मा ग्रन्थाङ्क तरीके श्रीअल्पपरिचितसैद्धान्तिकशब्दकोषना नामे आ ग्रन्थने सहर्ष प्रगट करीओ छीओ. तारक आगमोद्धारक गुरुदेवश्रीए आ कलिकालना विषम वातावरणमां आगमोनो बोध दुर्बोध न थई जाय ते हेतु आगमोदयसमितिनी स्थापना करावी अने आगमवाचना आपवान कयु. तेथी ते समिति आगमो छपाववान काय शरू कर्यु. तेमज आ संस्थाए पण अनुयोगद्वार वगेरे आगमो छपाव्या. ते वखते अने पछीथी आगमोद्धारक गुरुदेवश्रीर आगमोना जुदा जुदा विषयो तारवतां 'आगमकोष'नो पण अक विषय तारव्यो हतो अने कोष छपाववो हतो. आ विचारोत्पत्ति आजथी पांत्रीस वर्ष पहेलां थई हति प. ता. गुरुदेवश्रीना सदुपदेशथी नीचेना सद्गृहस्थो तरफथी नीचेनी रकमो अमारी संस्थाने मळी हती. ते आ प्रमाणे - १. अमदावादिनिवासी शा. डाह्याभाई पीतांबरदास रू. १५०१. २. सुरतनिवासी झवेरी सोभागचंद सुरचंद रू. १००१. ३ सुरतनिवासी झवेरी सांकळचंद सुरचंद रू. ५०१. आचार्य देवनो विहार माळवा, बंगाळ तरफ लंवायो होवाथी ते कार्य घणी मुदत सुधी पडी रघु हतुं. ते (छपायवान कार्य ) अमे आगमोद्धारकगुरुदेवश्रीनी संमतिथी शरू कयु. आ नीर्णय सं. २००४मां थयो. आथी प. ता गुरुदेवश्रीनी आज्ञा अनुसार पू. मुगिमहाराज श्रीगुणसागरजी पासेथी श्रीअल्पपरिचितसैद्धान्तिकशब्दकोषनुं प्रेस मेटर अमे मेळव्युं. ते श्रीसरस्वतीमुद्राणालय, सुरतमां छपाचवा माटे आप्यु अने तेनुं संपादन करवा माटे मुनिमहाराज श्रीकंचनविजयजी तथा श्रीक्षेमकरसागरजीने विनंति करी. तेओश्रीओ आगमोद्धारकगुरुदेवश्रीना अनन्य पटघर, विद्याव्यासंगी, श्रुतस्थविर, आचार्य महाराज श्रीमाणिक्यसागरसूरीश्वरजी महाराजनो संयोग मल्यो त्यां सुधि प्रूफ वंचायवा पूर्वक अने ते पछीथी स्वतंत्रपणे (ते मुनिवर्योओ) आ संपादन कार्य कयु तेथी अमो आ अद्वितीय आगमतलस्पर्शीज्ञाता, आगामतत्त्व पारदृश्वा, आगमज्योतिर्धर, शासनसंरक्षणवद्धकक्ष, तत्त्वशिरोमणि, आगमाव्युवित्तिकर शिलाताम्रपत्रोत्कीर्णागमकारापक, गंभीरानेकग्रन्थप्रणेता, अन्त्यसमये पक्षावधि अर्धपद्मासनस्थायी, ध्यानस्थस्वर्गत Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 296