Book Title: Akhyanakmanikosha
Author(s): Nemichandrasuri, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Vasudev S Agarwal
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 481
________________ ३९४ शब्द कच्छोह (दे०) कच्छोय (दे०) कट्टरकारिया हडकारिका कडतल कडप (दे० ) कणिया क शस्त्रविशेष ( ? ) खट्टिक्क (दे०) खट्टिग (दे०) ८५-१३ ९-२८ दण्ड, गिल्ली के साथ १४७-१५ खेलनेका काष्टदण्ड २०१-२७५ ११७-१०१ ५६-३२० ११६-७३ कत्थ कहमिल कन्नुस्सार कप्परय कलहयंत कल्लूरिय(दे०) सकसिर दे०) हिं० जकड़ा हुआ गु० कसकसेलुं २४६-३६ ६-८२ * कंडारिय(दे०) कुपित कंबिया दे०) ि कामोटि कापोति, गु०कावड १८-१९ कारट्टअ दे०) मृतभोजन, ४०-६५ हिं० मृतभोज, गु० कारज कावाइय (दे०) हिं०० चालाकी १५०-८९ किवाणिया कृराणिका १४९-५२ कुटः १८-२४ कुडय कुढिय (दे०) पदप्रतिकृतिज्ञाता, १२६-२२ गु० पगी कूयार केकयर केरविणी कोत्थलय (दे०) क्वाथ कर्दमवत् कर्णोत्सार कर्पूरक कलहयत् Jain Education International २४६-१० , कुल्ल (दे०) कुंडिय(दे०) खरष्टित लिप्स ७७-१९४ कुंभिया कुम्भिका ३३२-९, गु० कोठी १५,२० कूकार, हिं० कूका, ७८-२४२ कोसल (दे०) कोसलिय (दे० ) गु० पत्र- गाथा १५७-५७ ४५-५९,८० १९२-३४ केकर केर विणी ख ८१-३ १२-१२२ ३१८ - २४८ १८-१९ ३६४-६४ ४२-१२९ ३६६-११६ ९९-९,१००-३५ ३०२-४१३ १७९-२२ १८०-४१ शब्द खइडिय(दे०) शिथिलत खड्डा (दे०) वत्तियण क्षत्रियजन खत्थ स्थ आकाशस्थित संतप्त खत्थ(दे०) खलर्भालय (दे०) तृतीयं परिशिष्टम् पत्र - गाथा १६२-२७ ३४४-२३ ३९-२३ १४८-१० ३६०-१९७ १२५-४६ खलि खल, हि०खली, गु०खोळ ४१-९३ खल्लि (दे०) खलिदड (दे०) * खसर (दे०) *खल्ली (दे०) रिक्त, हिं० गु०खाली १७९-४ कर्कश, गु० खरबचडुं १५८-९५ कलङ्क, गु० खांपण. ३९-२३, फा० खामी खंपण (दे०) ११९-१७० ६-८० १२०-५ खाडहिला (दे०) खिस्स विम् दासी ३९ ४०,१६७-२१ १४०-१६ १९-४२ १६१-१३ खुपण(दे०) निमज्जन, गु० ७८ कलुषित, तुच्छ ९७-४७ *खोर दे० ' खोसल दे०) ६९-६ खुज्जा खुट्ट (दे०) खुडकिय (दे०) खुप (दे०) गडुल (दे० ) गणित्तिया गत्तर गद्द (दे० ) गलि ग कर्दममिश्र गणेत्रिका १५३-पंक्ति २१ १५३-पंक्ति २० गत्वर गाढ गलि गहवरि ग्रहावृत गंडधारा दे०) कश्म १८-३५ ६-८९ १९३-४५ ६-६१ ४०७९ गिल्ली (दे०) ८२-४ ३१६-१६२ २७८-४९ गुडुर (दे०) गुणलयणिया गुणलयनिका ३०३-४६१ हिं० तंबु गुरुहारा गुरुमारा, गुर्विणी * गुलिणी (दे०) * गोबर (दे०) गोहली (दे०) १८-३६ ९६-१२ ३४१ - २३६ *डल दे०) खण्डक, हिन्दू मंडोवल राष्ट २००-४९ लतागृह. १८-२३ गोमय, हिं०गोयर १८३-८ गोधूमाली ११६-६९ For Private & Personal Use Only शब्द घाडे रुद्द (दे०) घुंटअ चकल दे०) चचकिय चत्त दे०) चरी चहुट्ट (दे०) चंग (दे०) चंभ (दे०) " छुस्तुच्छल छोहिअ (दे०) घ जगड दे०) जग्गह जणेर ( अप० ) घुष्टक च जद्दर (दे०) जनता (दे०) चकचकित (?) संश्लिष्ट २६८-४ घाउजाय ६९-६ दृश्यतां चाउजाय ४०-८० चिपिष्ट चिपिट चीरी पक्षिविशेष, गु० चीवरी धीवंदण चेयवन्दन * चुल्हे (दे० हिं० चुल्हे की चुंक क्षिपू ० चूरी (दे०) छ छाल (दे०) ६२-४५ छक्कण्ण २२-६७ षट्कर्ण छगण छगण, गोमय, गु०छाण १२-१२३ उन्नाल(दे०) ९६-१२ छप्पय (दे०) १५४-४ १५३-४९ छित (दे०) छित्तरअ (दे०) १४४-१३२ ४२-१४४ छित्तिर दे०) जीर्णसूर्प छिप-छेप स्पृश ८८-९ छिप्प स्पृश्य २२१-२२ २२१-१५ छुरमट्ठो दे० क्षुरमृष्टि, हिं० गु० हजाम छलछलय् पत्र- गाधा ज ३६२-२५८ २३-१०२ १४४-११२ ८५-१३ १०२-१०० २६८-३ १८-३५ ४९-८४ यह २७३-१७ २२६-१६ १३७-६ १०-४१ ८८-६ १७९-१३ १२२-४३ ३६-३ ७५-१४४, ११०-७४, १२७-४ १२८-४० २७-८९ www.jainelibrary.org

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