Book Title: Akhyanakmanikosha
Author(s): Nemichandrasuri, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Vasudev S Agarwal
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 483
________________ ३९६ पत्र- गाथा ४९-१०३ ११४- दि० ११-९५ ४९-८० ३१-५३ १८-३५ ४९-८१ २५-२३ २३१-१०० १३४-५ सन्धानादियोग्यं ५६-३१० मृण्मयं भाजनम्, गु० पार प्राभृतिका १००-२८ पितुःस्वसृ ७३-५० पितृग्रह, गु० पियर १५२-१६ ३६६-११६ प्रवेश नितम्ब १७४ १३ (?) ८८-७ फ 1 फडस (दे०) खंड हिंसा १९४ १७२ गु० फाडफाडसा (?) शब्द पत्थरी (दे०) पन्थिया (दे०) परिणावितम परिणीत परिक्षण (दे०) पयऌहण पन्हसिर पहिजण पाउल (दे०) पाणहिया पारी पाहुडिया पिउसिया पियहर पुहलय दे०) पुय प्रादिम पादप्रोञ्छनक खसनशील फरल ६९-६ फारक (दे०) ११०-८५ * फिरिक्का (दे०) न्त्री, शकटिका १८२-१६ फुकादि०) १८३-१४ पान्थ हृष्टनारी वृन्द (१) उपान मद्दलभ भद्दलभ बक्कर बप्प दे०) *बलियंडा दे०) बलात्कार मुष्टिप्रक्षेप ९४-११० बुकावण बुड्ढ (दे०) २३४-१९५ बुर दे०) हिं०बुरादा, काष्टका बेर ७७-१९४ ३६-१५ १२२-४९ Jain Education International व परिहास बेट्टिया दे०) पुत्री बोलण दे०) जोडन भ स्वनामख्यात राजपुत्र भद्र २४८-१०७ १४७-२६ ७८-२४३, १४४ - १२१ १४६-६, १४७-२९, ४० १४७-१८ तृतीयं परिशिष्टम् शब्द पत्र- गाथा • मद्दुल (दे०) सूपक १४७-१९ *भरवसग-य(दे०) हिं० भरोसा, २३४-१९५, गु०भरोसो - विश्वास २५६-३८६ भलभलिए भडभडित अग्निशब्दे ८५-१३ भलिम (दे०) भद्रत्व, हिं० गु० भलाई १९५-५३ भवडत भ्राम्यत् २५६-३८० १२२-४६ भंडोल भाण्डकुल, गु० भंडोळ २२-५९ भंभारिय भम्भारित भंडण (दे०) १८-१७ भामड भ्रमणशील, गु०भामटो १३४-२६ भिड़ंत युध्यत् १०-६२ मिडिअ (दे०) १५६-१७ मिसया (३०) यां मिसिया १८८१७ भिसिया (दे०) ९६-१२ भूहरि (दे० ) तिलकविशेष, १३-१४२ गु० भूहड भोजित भोयविय म मऊरबंध मयूरबन्ध, विशेष११८-१९ मडप्फर (दे०) मड्डा (दे०) मरट्ट (दे०) मलय (दे०) १३६-४ २१-४७, ७८-२४२, १२१६, १४४ - १२६, १४९३३,१५६ - ८, १९२-७, २६८-४, ३३५-११ ७९-२८६, १०४-१५ ११६-६६ महल दे०) महलिया अन्तःपुरमहत्तर १९०-७९ अन्तःपुरमहत्तरा ६४-१०४ महियारिया दधिविका- २८६-३८,४५ यिका, गु० महियारी दद्रु मंदुल मुगलिया (दे०) मोक्कल (दे०) मोरबंध ४०-५५ ७२-९ १२७-३९ दृश्यतां - मोक्कल २८-१२५ दृश्यतां - मऊरबंध १४०-१६ र कम्बल रल्लय १४८-१३ रवन ( अप० ) ८१-१ ८२-२ रनिय (अप०) रमणीय *सोयणी (दे०) रसीकारिका १६२-४ गु० रसोयण For Private & Personal Use Only शब्द रंडत्तण रण्डत्व रामभुयग सर्पजातिः राडि (दे०) * राढ (दे०) शुभ् राढाल (दे०) अतिविभूपाप्रिय १९३-४३ राहाडि डी राडि, हिं३ि०-७, ९०-१६ हट, गु० राड ३०२-४१४, ३५३-२८,३५८-१४२ रिच्छ रिखंत रिछोली (दे०) रेसि अप०) रोल, दे०) रोलंब (दे०) रोहंस रोहिंस ललक (दे०) ऋक्ष, भल्लूक रिज लेन्स लेहारिय लोजिय वउप्पअ बडू(दे०) *घट (दे०) *वरह (दे०) घरिया वरोहिय ५१-१४४ ३५३-२५ ५०-१०३, ५१-१४४. पत्र- गाथा १२२-४८ ३४७-१२ २८५-२१ ३२५-११ १३७–५, १४०-१७ ललि०) लिलिकिअ * लिल्लिरय (दे०) वस्त्रचीरी, लयलयकृत ७४-१०५,१०७-११ १८- ३३.७४ - १०५ ७६-१५९, १०७-१९ रोडिक पक्ष १९-४० ७२-१९ १८-२९४१-८८, ८५-१३,२४६-४०, १०-३५ ४५-५९, गु० लीरी, लेरो १५७-५७ लिंडिया (दे०) लिण्डिका, ६-७७ अजादिविष्टा नेता लेखाचार्य ८१-२ ४३-१५६ नकारस्य श्रुत्या २७२-२९ नवनीत म० लोणी ३५१-२३ २०७-४८१,३५८-१४३ - य दृश्यत पोप १५१-१०० ८२-४ मुख ३०६-४५ रज्जु, गु० वरेढुं ५-५० दृश्यतां वलया ११-९८ ११२-१५५ पुरोहित www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504