Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayana Sutra ka Shailivaigyanik Adhyayana
Author(s): Amitpragyashreeji
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 4
________________ अर्हम् उत्तराध्ययन आगम साहित्य के अध्ययन की जन्मधूंटी है। यह आजीवन पोषण देने वाला है। इसमें, तत्त्व, दर्शन, कथा, जीवनवृत, इन सबका समावेश है। इसका अध्ययन अनेक कोणों से हुआ है। इस पर बड़ी-बड़ी टीकाएं लिखी गई हैं। शैली विज्ञान की दृष्टि से समणी अमितप्रज्ञा ने जो प्रयत्न किया है, वह प्रथम है। इस विषय में आधुनिक शैली से लिखा गया ग्रंथ शैलीविज्ञान के पाठकों के लिए बहुत उपयोगी है। आचार्य महाप्रज्ञ भिक्षु विहार जैन विश्व भारती, लाडनूं २२ फरवरी, २००५ Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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