Book Title: Agam 41 Mool 02 Ogh Niryukti Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
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(४३) उत्तरऽज्झयणं (चउत्थं मूलसुत्त) अ. १०, ११
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चक्खुबले य हायई समयं गोयम ! मा पमाय ॥ २२ ॥ ३१३. परिजूरइ ते सरीरयं केसा पंडुरया भवंति ते । से घाणबले य हायई समयं गोयम ! मा पमायए ॥ २३ ॥ ३१४: परिजूरइ ते सरीरयं केसा पंडुरया भवंति ते । से जिब्भबले य हायई सयमं गोयम ! मा पमायए ||२४|| ३१५. परिजूरइ ते सरीरयं केसा पंडुरया भवंति ते । से फासबले य हायई सयमं गोयम ! मा पमाय ॥ २५ ॥ ३१६. परिजूरइ ते सरीरयं केसा पंडुरया भवंति ते । से सव्वबले य हायई सयमं गोयम ! मा पमाय ||२६|| ३१७. अरई गंडं विसूइया आयंका विविहा फुसंति ते । विहडइ विद्वंसइ ते सरीरयं समयं गोयमं ! मा पमायए ॥ २७॥ ३१८. वोच्छिंद सिणेहमप्पणो कुमुयं सारइयं व पाणियं । से सव्वसिणेहवज्जिए समयं गोयमं ! मा पमाय ॥२८॥ ३१९. चेच्चा ण धणं च भारियं पव्वइओ हि सि अणगारियं । मा वंतं पुणो वि आविए समयं गोयमं ! मा पमायए ||२९|| ३२०. अवइज्झिय मित्त- बंधवं विउलं चेव धणोहसंचयं । मा तं बितियं गवेसए समयं गोयमं ! मा पमायए ॥ ३० ॥ ३२१. न हु जिणे अज्ज दीसई हुए दीस मग्गदेसिए । संपइ नेआउए पहे समयं गोयम ! मा पमायए ॥ ३१ ॥ ३२२. अवसोहिय कंटगापहं ओइण्णो सि पहं महालयं । गच्छसि मग्गं विसोहिया समयं गोमं ! मा पमायए ||३२|| ३२३. अबले जह भारवाहए मा मग्गे विसमेऽवगाहिया । पच्छा पच्छांणुतावए समयं गोयमं ! मा पमायए ||३३|| ३२४. तिण्णो हुन्न महं किं पुण चिट्ठसि तीरमागओ ? | अभितुर पारं गमित्तए समयं गोयम ! मा पमायए ||३४|| ३२५. अकलेवरसेणिमुस्सिया सिद्धिं गोयम ! लोयं गच्छसि । खेमं च सिवं अणुत्तरं समयं गोयमं ! मा पमायए ||३५|| ३२६. बुद्धे परिनिव्वुए चरे गाम गए नगरे व संजए। संतिमग्गं च वूहए समयं गोयम ! मा पमायए ||३६|| ३२७. बुद्धस्स निसम्म भासियं सुकहियमट्ठपदोवसोहियं । रागं दोसं च छिदिया सिद्धिगई गए गोयमे ||३७|| त्ति बेमि ॥ ★★★ ॥ दुमपत्यं समत्तं ॥१०॥ ★★★११ एगारसमं बहुस्सुयपुज्जं अज्झयणं ★★★ ३२८. संजोगा विप्पमुक्कस्स अणगारस्स भिक्खुणो । आयारं पाउकरिस्सामि आणुपुव्विं सुणेह मे ||१|| ३२९. जे यावि होइ निव्विज्जे थद्धे लुद्धे अनिग्गहे । अभिक्खणं उल्लवई अविणीए अबहुस्सुए ||२|| ३३०. अह पंचहिं ठाणेहिं जेहिं • सिक्खा न लभ । थंभा १ कोहा २ पमाएणं ३ रोगेणाऽऽलस्सएण य ४-५ || ३ | ३३१. अह अट्ठहिं ठाणेहिं सिक्खासीले त्ति वुच्चई । अहस्सिरे १ सया दंते २ न य मम्ममुयाहरे ३ ||४|| ३३२. नासीले ४ ण विसीले ५ न सिया अइलोलुए ६ । अकोहणे ७ सच्चरए ८ सिक्खासीले त्ति वुच्चइ ||५|| ३३३. अह चोद्दसहिं ठाणेहिं
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माणे संजए । अविणीए वुच्चई सो उ निव्वाणं च ण गच्छई || ६ || ३३४. अभिक्खणं कोही भवइ १ पबंधं च पकुव्वई २ । मित्तिज्जमाणो वमई ३ सुयं लद्धूण मज्जई ४ ॥७॥। ३३५. अवि पावपरिक्खेवी ५ अवि मित्तेसु कुप्पई ६ । सुप्पियस्सावि मित्तस्स रहे भासइ पावगं ७ ॥ ८ ॥ ३३६. पइण्णवाई ८ दुहिले ९ थद्धे १० लुद्धे ११ अणिग्गहे १२ । असंविभागी १३ अचियत्ते १४ अविणीए त्ति वुच्चई || ९ || ३३७. अह पण्णरसहिं ठाणेहिं सुविणीए त्ति बुच्चई । नीयावत्ती १ अचवले २ अमाई ३ अकुतूहले ४ ||१०|| ३३८. अप्पं च अभिक्खिवई ५ पबंधं च न कुव्वई ६ । मेत्तिज्जमाणो भवई ७ सुयं लब्धुं न मज्जई ८ ॥ ११ ॥ ३३९. न य पावपरिक्खेवी न य मित्तेसु कुप्पई । अप्पियस्सावि मित्तस्स रहे कल्लाण भासई । ३४०. कलह - डमरवज्जए १२ बुद्धे अभिजाइए १३ | हिरिमं १४ पडिसंलीणे १५ सुविणीए त्ति वुच्चई ||१३|| ३४१. वसे गुरुकुले निच्चं जोगवं उवहाणवं । पियंकरे पियंवाई से सिक्खं लडुमरि हई || १४ || ३४२. जहा संखम्मि पयं निहियं दुहओ वि विरायई । एवं बहुस्सु भिक्खू धम्मो कित्ती तहा सुयं ||१५|| ३४३. जहा से कंबोयाणं आइण्णे कंथए सिया आसे जवेण पवरे एवं भवइ बहुस्सुए || १६ || ३४४. जहाऽऽइण्ण समारूढे सूरे दढपरक्कमे । उभओ नंदिघोसेणं एवं भवइ बहुस्सुए ||१७|| ३४५. जहा करेणुपरिकिन्ने कुजरे सट्ठिहायणे । बलवंते अप्पडिहए एवं भवइ बहुस्सए ।। १८ । '३४६. जहा से तिक्खसिंगे जायक्खंधे विरायई । वसहे जूहाहिवई एवं भवइ बहुस्सए ||१९|| ३४७. जहा से तिक्खदाढे उदग्गे दुप्पहंसए। सीहे मियाण पवरे एवं भवइ बहुस्सु ॥२०॥ ३४८. जहा से वासुदेवे संख-चक्क गदाधरे । अप्पडिहयबले जोहे एवं भवइ बहुस्सुए ॥ २१ ॥ ३४९. जहासे चाउरंते चक्कवट्टी महिड्डिए । चोद्दसरयणाहिवई एवं भवइ बहुस्सुए ||२२|| ३५०. जहा से सहस्सक्खे वज्नपाणी पुरंदरे । सक्के देवाहिवई एवं भवइ बहुस्सु ॥ २३ ॥ ३५१. जहा से तिमिरविद्धंसे
श्री आगमगुणमंजूषा - १६४८ फ्र
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