Book Title: Agam 41 Mool 02 Ogh Niryukti Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
View full book text
________________
POR9555555555555555y
(३) उत्तरऽज्झयण (चउत्थ मूलसुत्त) अ. ३४, ३५, ३६
( 80
5 555555555550oY
GO乐乐乐乐明明听听听听听听乐乐明明明乐明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐555
जहन्नेणं पम्हाए, दस मुहुत्तऽहियाइं उक्कोसा ॥५४॥ १४२५. जा पम्हाए ठिई खलु उक्कोसा सा उ समयमब्भहिया । जहन्नेणं सुक्काए, तेत्तीस मुहुत्तमब्भहिया।।५५।। दारं ९ १४२६. किण्हा नीला काऊ तिन्नि वि एयाओ अहम्मलेसाओ । एयाहिं तिहिं वि जीवो दोग्गइं उववज्जई ॥५६॥ १४२७. तेऊ पम्हा सुक्का तिन्नि वि एयाओ धम्मलेसाओ। एयाहिं तिहिं वि जीवो सोग्गइं उववज्जई ।।५७।। दारं १० १४२८. लेसाहिं सव्वाहिं पढमे समयम्मिपरिणयाहिं तु । न हु कस्सइ उववाओ परे भवे होइ जीवस्स ।।५८।। १४२९. लेसाहिं सव्वाहिं चरमे समयम्मि परिणयाहिं तु न हु कस्सइ उववाओ परे भवे हवइ जीवस्स ॥५९॥ १४३०. अंतोमुहुत्तम्मि गए अंतमुहुत्तम्मि सेसए चेव। लेसाहिं परिणयाहिं जीवा गच्छंति परलोगं ॥६०|| दारं ११ १४३१. तम्हा एयासि लेसाणं अणुभावं वियाणिया। अप्पसत्थाओ वज्जेत्ता पसत्थाओ अहिट्ठए ॥६१॥ त्ति बेमि ॥ ** || लेसऽज्झयणं समत्तं ॥३४॥★★★ ३५ पंचतीसइमं अणगारमग्गगईयं अज्झयणं ★★★ १४३२. सुणेह मे एगग्गमणा मग्गं बुद्धेहिं देसियं । जमायरंतो भिक्खू दुक्खाणंतकरो भवे ॥१॥ १४३३. गिहवासं परिच्चज्ज पव्वज्जामासिओ मुणी । इमे संगे वियाणेज्जा जेहिं सज्जति माणवा ॥२॥१४३४. तहेव हिंसं अलियं चोजं अब्बंभसेवणं । इच्छाकामं च लोभं च संजओ परिवज्जए ||३|| १४३५. मणोहरं चित्तघरं मल्ल-धूवेण वासियं । सकवाडं पंडरुल्लोयं मणसा वि न पत्थए ।॥४॥ १४३६. इंदियाणि उ भिक्खुस्स तारिसम्मि उवस्सए। दुक्कराई निवारेउं कामरागविवड्डणे ॥५॥ १४३७. सुसाणे सुन्नगारे वा रुक्खमूले व एगगो । पइरिक्के परकडे वा वासं तत्थऽभिरोयए ॥६॥ १४३८. फासुयम्मि अणाबाहे इत्थीहिं अणभिहुए । तत्थ संकप्पए वासं भिक्खू परमसंजए |७|| १४३९. न सयं गिहाई कुव्वेज्जा नेव अन्नेहिं कारए। गिहकम्मसमारंभे भूयाणं दिस्सए वहो ||८|| १४४०. तसाणं थावराणं च सुहुमाणं बायराण य । तम्हा गिहसमारंभ संजओ परिवज्जए ।।९।। १४४१. तहेव भत्त-पाणेसु पयणे पयावणेसु य । पाण-भूयदयट्ठाए न पए न पयावए ||१०|| १४४२. जल-धन्ननिस्सिया जीवा पुडवी-कट्ठनिस्सिया। हम्मंति भत्त-पाणेसु, तम्हा भिक्खू न पयावए ||११|| १४४३. विसप्पे सव्वओधारे बहुपाणविणासणे। नत्थि जोइसमे सत्थे, तम्हा जोई न दीवए |१२|| १४४४. हिरण्णं जायरूवं च मणसा वि न पत्थए । समलेट्ठ-कंचणे भिक्खु विरए कय-विक्कए ।।१३।। १४४५. किणंतो कइओ होइ, विक्किणंतो य वाणिओ। कय-विक्कयम्मि वढ्तो भिक्खू होइन तारिसो।।१४।।१४४६. भिक्खियव्वं, न केयव्वं भिक्खुणा भिक्खवित्तिणा। कयविक्कओ महादोसो भिक्खावित्ती सुहावहा ॥१५|| १४४७. समुयाणं उंछमेसेज्जा जहासुतमणिदियं । लाभालाभम्मि संतुढे पिंडवायं चरे मुणी||१६|| १४४८. अलोले, न रसे गिद्धे जिब्भादंते अमुच्छिए। न रसट्ठाए मुंजेज्जा, जावणट्ठा महामुणी ॥१७॥ १४४९. अच्चणं रयणं चेव वंदणं पूयणं तहा। इड्डी-सक्कार-सम्माणं मणसा वि न पत्थए॥१८॥१४५०. सुक्कज्झाणं झियाएज्जा अनियाणे अकिंचणे। वोसट्ठकाए विहरेज्जा जाव कालस्स पज्जओ॥१९॥ १४५१. निज्जूहिऊण आहारं कालधम्मे उवट्ठिए। चइऊण माणुसं बोदिं पहू दुक्खा विमुच्चई ॥२०॥ १४५२. निम्ममो निरहंकारो वीयरागो अणासवो। संपत्तो केवलंनाणं सासयं परिनिव्वुडे ॥२१॥ त्ति बेमि || *अणगारमग्गं समत्तं ॥३५॥ *** ३६ छत्तीसइमं जीवाजीवविभत्तिअज्झयणं *** १४५३. जीवाजीवविभत्तिं सुणेह मे एगमणा इओ । जं जाणिऊण भिक्खू सम्मं जयइ संजमे ॥१॥ १४५४.जीवा चेव अजीवा य एस लोए वियाहिए। अजीवदेसमागासे अलोए से वियाहिए ।।२।। १४५५. दव्वओ खेत्तओ चेव कालओ भावओ तहा। परूवणा तेसि भवे जीवाणमजीवाण य॥३|| १४५६. रूविणो चेवऽरूवी य अजीवा दुविहा भवे । अरूवी दसहा वुत्ता, रूविणो वि चउव्विहा ॥४॥ १४५७. धम्मत्थिकाए तद्देसे तप्पदेसे य आहिए । अधम्मे तस्स देसे य तप्पदेसे य आहिए ॥५॥ १४५८. आगासे तस्स देसे य तप्पएसे य आहिए। अद्धासमए चेव अरूवी दसहा भवे ॥६॥ १४५९. धम्माधम्मे य दो वेए लोगमेत्ता वियाहिया। लोगालोगे य आकासे, समए समयखेत्तिए।७।। १४६०. धम्माधम्मागासा तिन्नि वि एए अणादिया । अपज्जवसिया चेव सव्वद्धं तु वियाहिया ।।८।। १४६१. समए वि संतई पप्प एवमेव वियाहिए । आएसं पप्प साईए अप्पज्जवसिए विय॥९॥ १४६२. खंधा य खंधदेसा य तप्पएसा तहेव य। परमाणुणो य बोद्धव्वा रूविणो य चउव्विहा॥१०॥ १४६३. एगत्तेण पुहत्तेण खंधा
य परमाणुणो । लोएगदेसे लोए य भइयव्वा ते उ खेत्तओ । एत्तो कालविभागं तु तेसिं वोच्छं चउव्विहं ॥१॥१४६४. संतई पप्प तेऽणाई अपज्जवसिया वि य । ठिइं Mor5 55555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा- १६७९॥55555555555555
F ORY
OC$听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听明明明明明乐明明明明明明明2C
Page Navigation
1 ... 46 47 48 49 50 51 52 53 54