Book Title: Agam 41 Mool 02 Ogh Niryukti Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
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(४३) उत्तरऽज्झयणं (चउत्थं मूलसुत्तं) अ, ३०,३१, ३२
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॥२५॥ १२०२. खीर-दहि-सप्पिमाई पणीयं पाण-भोयणं । परिवज्जणं रसाणं तु भणियं रसविवज्जणं ४ ॥२६॥ १२०३. ठाणा वीरासणाईया जीवस्स उ सुहावहा । उग्गा जहा धरिजंति कायकिलेसं तमाहियं ५॥२७॥१२०४. एगंतमणावाए इत्थी-पसुविवज्जिए। सयणासणसेवणया विवित्तसयणासणं ६॥२८॥ १२०५. एसो बाहिरगतवो समासेण वियाहिओ। अब्भतरं तवं एत्तो वोच्छामि अणुपुव्वसो॥२९॥ १२०६. पायच्छित्तं १ विणओ २ वेयावच्चं २ तहेव सज्झाओ४। झाणं ५च/ विउस्सग्गो ६ एसो अन्र्भतरो तवो ॥३०॥ १२०७. आलोयणारिहादीयं पायच्छित्तं तु दसविहं । जे भिक्खू वहई सम्मं पायच्छित्तं तमाहियं १ ॥३१|| १२०८. अब्भुट्ठाणं अंजलिकरणं तहेवासणदायणं । गुरुभत्ति-भावसुस्सूसा विणओ एस वियाहिओ २॥३२॥ १२०९. आयरियमाईए वेयावच्चम्मि दसविहे । आसेवणं जहाथामं वेयावच्चं तमाहियं ३ ॥३३॥ १२१०. वायणा पुच्छणा चेव तहेव परियट्टणा । अणुपेहा धम्मकहा सज्झाओ पंचहा भवे ४ ॥३४॥ १२११. अट्ट-रोद्दाणि वजेत्ता झाएज्जा सुसमाहिए। धम्म-सुक्काई झाणाई झाणं तं तु बुहा वए ५॥३५॥ १२१२. सयणासण ठाणे वा जे उ भिक्खून वावरे(?डे) । कायस्स विउस्सग्गो छट्ठो सो परिकित्तिओ६॥३६॥ १२१३. एयं तवं तु दुविहं जे सम्मं आयरे मुणी । से खिप्पं सव्वसंसारा विप्पमुच्चइ पंडिए ।॥३७॥त्ति बेमि। ॥तवमग्ग? ग इज्ज समत्तं ३०॥३०॥ *** ३१ इगतीसइमं चरणविहिअज्झयणं १२१४. चरणविहिं पवक्खामि जीवस्स उ सुहावहं । जं चरित्ता बहू जीवा तिण्णा संसारसागरं ।।१।। १२१५. एगओ विरई कुज्जा, एगओ य पवत्तणं । असंजमे नियत्तिं च, संजमे य पवत्तणं ||२|| १२१६. राग-दोसे य दो पावे पावकम्मपवत्तणे। जे भिक्खू रुंभई निच्चं से न अच्छइ मंडले ॥३|| १२१७. दंडाणं गारवाणं च सल्लाणं च तियं तियं । जे भिक्खू चयई निच्चं से न अच्छइ मंडले ॥४॥१२१८. दिव्वे य उवसग्गे तहा तेरिच्छ-माणुसे। जे भिक्खू सहई निच्चं सेन अच्छइ मंडले॥५॥१२१९. विगहाकसायसन्नाणं झाणाणं च दुयं तहा। जे भिक्खू वज्जए निच्चं से न अच्छइ मंडले ।।६।। १२२०. वएसु इंदियत्थेसु समितीसु किरियासु य । जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मंडले ॥७॥ १२२१. लेसासु छसु काएसु छक्के आहारकारणे । जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मंडले ॥८॥ १२२२. पिंडोग्गहपडिमासू भयट्ठाणेसु सत्तसु । जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मंडले ॥९॥ १२२३. मएसु बंभगुत्तीसु भिक्खुधम्मम्मि दसविहे । जे भिक्खू जयई निच्च से न अच्छइ मंडले ॥१०॥ १२२४. उवासगाणं पडिमासु भिक्खूणं पडिमासुय। जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मंडले ॥११॥१२२५. किरियासु भूयगामेसु परमाहम्मिएसुय। जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मंडले ।।१२।। १२२६. गाहासोलसएहिं तहा असंजमम्मि य । जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मंडले ॥१३॥ १२२७. बंभम्मिनायज्झयणेसु ठाणेसु असमाहिए। जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मंडले ॥१४॥ १२२८. एकवीसाए सबलेसुंबावीसाए परीसहे। जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मंडले ॥१५॥ १२२९. तेवीसइसूयगडे रूवाहिएसु सुरेसुय। जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मंडले ॥१६॥ १२३०. पणुवीसा भावणाहिं उद्देसेसु दसादिणं । जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मंडले ||१७|| १२३१. अणगारगुणेहिं च पकप्पम्मि तहेव उ। जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मंडले ॥१८॥१२३२. पावसुयपसंगेसु मोहट्ठाणेसु चेव य । जे भिक्खू जयई निच्चं सेन अच्छइ मंडले॥१९॥ १२३३. सिद्धाइगुण-जोगेसुतेत्तीसासायणासुय। जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मंडले॥२०॥१२३४. इइ एएसु ठाणेसु जे भिक्खू जयई सया। खिप्पं से सव्वसंसारा विप्पमुच्चइ पंडिए॥२१||त्ति बेमि || | चरणविहिअज्झयणं समत्तं ॥३१॥***३२ बत्तीसइमं पमायट्ठाणं अज्झयणं ★★★ १२३५. अच्चंतकालस्स समूलगस्स सव्वस्स दुक्खस्स उजो पमोक्खो । तं भासओ मे पडिपुण्णचित्ता ! सुणेह एगंतहियं हियत्थं ॥१|| १२३६. नाणस्स सव्वस्स पगासणाए अन्नाण-मोहस्स विवज्जणाए। रागस्स दोसस्सय संखएणं एगंतसोक्खं समुवेइ मोक्खं ।।२।। १२३७. तस्सेस मग्गो गुरु-विद्धसेवा विवज्जणा बालजणस्स दूरा । सज्झायएगंतनिसेवणा य सुत्तत्थसंचिंतणया धिती य॥३॥ १२३८. आहारमिच्छे मितमेसणिज्जं सहायमिच्छे निउणट्ठबुद्धिं । निकेयमिच्छेज्ज विवेगजोग्गं समाहिकामे समणे तवस्सी ॥४॥१२३९. न वा लभेज्जा निउर्ण सहायं गुणाहियं वा गुणतो समं वा । एक्को वि पावाई
विवज्जयतो विहरेज कामेसु असज्जमाणो॥५॥१२४०. जहाय अंडप्पभवा बलागा अंडं बलागप्पभवं जहा य । एमेव मोहायतणं खुतण्हं मोहं च तण्हायतणं वयंति xerc$4555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १६७३ 55555555555555555555555555550Y
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