Book Title: Agam 33A Maransamahi Painnagsutt 10A Moolam Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Agam Shrut Prakashan View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मरणसमाहि- १॥ ॥१६॥ ॥१७॥ ॥१८॥ ॥१९॥ ॥२०॥ ॥२१॥ ॥२२॥ ॥२३॥ ॥२४॥ (१६) सहगा पत्तियगाय रोयगाजे य वीरययणस्स | सप्मत्तमनुसरंता सणाराहगा होति संसारसमावणे य छव्यिहे मोक्खमस्सिएचेव। एए दुबिहे जीवे आणाए सघहे निचं धम्माऽधम्माऽऽमासंघ पोग्गले जीवमत्यिकायंच। आणाए सद्दहंता सम्मत्ताराहगा मणिया अरइंत-सिद्ध-चेइय-गुस्सु सुय-धम्म-साहुवणे य । आयरिय उवज्झाए य पवयणे सच्चसंधेय एएसु भत्तिजुत्ता पूर्यता अहरूहं अनन्नमणा। सम्मत्तमनुसरंता परित्तसंसारिया होति (२१) सुविहिय इमंपइण्णं असद्दहंतेहि नेगजीयेहिं। बालमरणाणि तीए मयाइ काले अनंताई एगं पंडियमरणं मरिऊण पुणो बहूणि मरणाणि । न मरंति अप्पमत्ता चरित्तमाराहियं जेहिं दुविहम्मि अहक्खाए सुसंवुडापुव्वसंगओमुक्का । जे उचयंति सरीरंपंडियमरणं मयं तेहिं एवं पंडियमरणंजे धीरा उवगया उवाएणं । तस्स उवाए उइमा परिकम्पविही उ जुजीया जे कंस-संख-ताडण-पारुय-जिय-गगन-पंकय-तरूणं। सरिकप्पा सुपकप्पियआहार-विहार-गगण-पंकय-तरूणं (२६) निच्चं तिदंडविरया तिगुत्तिगुता तिसल्लनिस्सला। तिविहेण अप्पमता जगदीयदयायरा समणा पंचमहव्वयसुत्यियसंपुनचरित्त-सीलसंजुत्ता। जह तह मया महेसी हवंति आराहगासमणा इककं अप्पाणं जाणिऊण काऊणअत्तहिययंच। त पवरनाण-दसण-चरित-तवसुहिया होति (२९) परिणाम-जोगसुद्धा दोसु य दो दो निरासयं पत्ता। इहलोए परलोए जीविय-मरणासए चेय संसारिबंधणाणि य राग-दोसनियलाणि छितूण। सम्मइंसणसुनिसियसुतिक्खधिइमंडलग्गेणं (३१) दुप्पणिहिए य पिहिऊण तित्रि तिहिं चेव गारविमुक्का। कायं मणं च वायं मण-बयसा कायसाचेच (३२) तवपरसुणा र छेत्तूण तिणि उजुखंतिविहियनिसिएणं । दोग्गइमग्गा तरिएण मण-बयसा-कायए दंडे (३३) तंनाऊण कसाए चउरो पंचहि य पंचहंतूर्ण पंचाऽऽसवे उदिन्ने पंचहि य महन्वयगुणेहि ॥२५॥ IFE II ॥२७॥ ॥२८॥ ||२९॥ ||३० ॥३१॥ ॥३२॥ ॥३३॥ For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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