Book Title: Agam 33A Maransamahi Painnagsutt 10A Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
॥४६५||
॥४६६॥
।।४६७॥
11४६८
I४६९||
inr७०11
७१॥
॥४७३||
॥७३॥
(a) दंडोवियअणगारो आयावणभूमिसंठिो चीरो।
सहिऊण वाणघायं सम्मं परिनिब्बुओ भगवं (४१७) सेलम्मिचित्तकूड़े सुकोसलो सुटिओ उपडिमाए।
नियगजणणीए खइओ यग्धीमावं उबगयाए (4) पडिमोदगओ यमुनी लंबेसु ठिओ बहस ठाणेसुं।
तह यिय अकलुणमावो साहुखमा सव्वसाहणं (४५९) पंदसयपरिवुडप्पा वइररिसी पचए रहावत्ते।
मोत्तूण खुडगं किर अन्नं गिरिमस्सिओ सुजसो (४७०) तत्य य सो उवलतलेएगागी धीरनिच्छयमईओ।
वोसिरिऊण सरीरं उगहम्मिठिओ वियप्पाणो (४७१) तोसो अइसुकुमालो दिनयरकिरणग्गितावियसरीरो ।
हविपिंडु ब्व विलीणो उववण्णो देवलोयम्मि (१७२) तस्सयसरीरपूयं कासी यरहेहि लोगपाला उ।
तेण रहावत्तगिरी अउ वि सो विस्सओ लोए (४७r) भगवं पि वइरसापी बिईयगिरिदेवयाइ कयपूओ।
संपूइओऽत्य मरणे कुंजरपरिएण सक्केणं (rur) पूइयसुविहियदेहो पयाहिणं कुंजरेण तं सेले।
कासी य सुरवरिंदोतमा सो कुंजरायत्तो (४७५) तत्तोय जोगसंगहउवहाणक्खाणयम्मि कोसंबी।
रोहगमयंतिसेणो रुझेइ मणिप्पमो मासा (४७६) धम्मवसुसीसजुयलं धम्मजसे तत्य रणदेसम्मि ।
मत्तं पचखायइ सेलम्मि उवच्छगातीरे (res) निप्पप निरहंकारोएगागी सेलकंदरसिलाए।
कासी य उत्तमलु सो भावो सब्दसाहणं (ve) उपहम्मि सिलावडे जहतं अरहष्णएण सुकुमालं ।
वग्धारियं सरीरं अनुचिंतेजा तमुच्छाई (४७९) गोब्बर पाओवगओ सुबुद्धिणा निम्धिणेण वाणक्को।
दड्दो नय संचलिओ साहु घिईचिंतणिमा उ (४८०) जह सो चंसिपएसी योसह-निसिह-पत्तदेहाओ।
वंसीपत्तेहिं विणिग्गएहि आगासमुक्खित्तो (re3) जह सा बत्तीसगडायोसह-निसटु-चत्तदेहागा।
धीरा वाएण उदीरिएण विगलिम्मि ओलाइया (४४२) जंतेणं करकएण व सत्येहिं बसायएहिं विविहेहिं।
देहे विद्धंसते ईसि पिअकंपणा समणा (res) पडिनीययाइ केई चम्मसे खीलएहि निहणित्ता।
महु-धयमखियदेहं पिवीलियाणं तु देजा हि
७४॥
॥४७५||
||७६॥
४७७||
11४७८॥
I७९॥
॥४८॥
॥४८१॥
||४८३॥
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51