Book Title: Agam 33A Maransamahi Painnagsutt 10A Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
गाडा-३४
www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(३४) छज्जीवनिकाए रक्खिऊण छलदोसवज्जिया जइणो तिगलेसापरिहीणा पच्छिमलेसातिगजुया य (३५) इग-दुग-तिग-घउ-पण- छग-सत्त-ऽट्ठग-नवग- दसगठाणेसुं असुहेसु विप्पीणा सुभेसु सय संठिया जे उ (३६) वेयण वेयावचे इरियट्ठाए य संजमट्टाए तर पाणयत्तियाए छवं पुण धम्मर्चिताए (३७) छसु ठाणेसु इमेसु उ अन्नत्तरे कारणे समुप्पत्रे कडजोगी आहारं करेति जयणानिमित्तं तु (३८) जोएसु किलायंता सरीर संकष्प वोढुमचयंता अविकंध वज्रभीरू उदेति अब्भुजयं मरणं आयंके उवसग्गे तितिक्खया- बंपचेर - गुत्तीसु पाणिदया - तवहेउं सरीरपरिहारवीच्छेओ
(३९)
(४२)
(४३)
(४०) पडिमासु सीहनिक्कीलियासु घोरेसऽभिग्गहाईसु छव्विह अमितरए बज्झे य तवे समनुरता ( ४१ ) अविकलसूलीऽऽयारा पडियत्रा जे उ उत्तमं अहं । पुव्विल्लाग इमाण य भणिया आराहणा चेद जह पुव्वद्धयगमणो करणविहीणो वि सागरे पोओ। तीरासानं पावइ रहिओ वि अवलगाईह तह सुकरणो महेसी तिकरण आराहओ धुवं होइ । अह लहइ उत्तम तं अलामत्तणं जाण (४४) एस समासो पणिओ परिणामवसेणं सुविहियजणस्स । इत्ती जडकरणिज्जं पंडियमरणं तहा सुणह (४५) फासेहि तं चरितं सव्वं सुहसीलयं पयहिऊणं । घोरं परीसहच अहियासितो धिइबलेणं (४६) सद्दे रूवे गंधे रसे य फासे य निज्जिण धिईए । सव्येसु कसासु य निहंतु परमो सया होहि (४७) चइऊण कसाए इंदिए य सव्वे य गारवे हंतुं । तो मलियराग-दोसो करेह आराहणासुद्धि (४८) दंसण-नाण-चरिते पव्वाईसु जो अईयारो । तं सव्वं आलोएहिं निरवसेसं पणिहियप्पा (४९) जह कंटएण विद्धो सव्वंगे देयणहिओ होइ । तह चेव उद्धियम्मि उनीसल्ली निव्युओ होइ (५०) एवमणुद्धियदोसो माइलो तेण दुक्खिओ होइ । सो चैव चत्तदोसो सुविसुद्धो निव्दुओ होइ (५१) रागा - छोसाभिहया ससलमरणं मरंति जे मूढा ! ते दुक्खसल्लबहुला भमंति संसारकंतारे
के
For Private And Personal Use Only
॥३४॥
॥३५॥
॥३६॥
॥३७॥
||३८||
॥३९॥
॥४०॥
॥। ४१ ।।
॥४२॥
४३ ॥
॥४४॥
॥४५॥
॥४६॥
४७।।
||४८||
४९ ॥
।।५०||
।।५१||

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51