Book Title: Agam 33A Maransamahi Painnagsutt 10A Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १४ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १९६) सत्रासु आसवेसु य अट्टे रुद्दे य तं विसुद्धप्पा | राग-दोसपवंचे निशिण सव्वप्यणोत्तो ( १९७ ) को दुक्खं पावैज्जा कस्स य सुक्खेहिं विम्हओ होया । कोव न लभे मुक्खं राग-दोसा जइ न होजा ( १९८ ) न वितं कुणड़ अमित्तो सुटुं वि य विराहिओ समत्यो वि । जं दो वि अनिग्गहिया करेति रागो य दोसो य ( १९९) तं मुयह राग-दोसे सेयं वितेह अप्पणी निच॑ । जं तेहि इच्छह गुणं तं चुक्कह बहुत्तरं पच्छा ( २०० ) इहलोए आयासं अयसं च करेति गुणविणासं च । पसवंति य परलोए सारीर-मणोगए दुक्खे (२०१) धिद्धी अहो अक जं जाणंती वि राग-दोसेहिं । फलमडलं कडुयरसं तं चैव निसेवए जीवो (२०२) तं जइ इच्छसि गंतुं तीरं भवसायरस्स घोरस्स । तो तब संजमभंड सुविहिय पिण्हाहि तूरंतो (२०३) बहुभयकरदोसाणं सम्मत्तं चरितगुणविणसाणं । नवसमागतव्वं राग-दोसाण पावाणं ( २०४) जंन लहइ सम्मत्तं लद्धूण वि जं न एइ वेग्गं । विसयसुहेसु य र सो दोसो राग-दोसाणं ( २०५ ) भवसयसहस्सदुलहे जन्म-जरा-मरणसागरुतारे य जिणवयणम्मि गुणागर खणमवि मा काहिसि पमायं (२०५) दव्वेहिं पञ्जवेहिय ममत्तिसंगेहिं सुद्धं वि जियप्पा । निष्पणय पेम्मरागो जइ सम्मं नेइ मुक्खत्थं (२०७) एवं कयसंलेहं अम्मितर बाहिरम्मि संलेहे। संसारमोक्खबुद्धी अनिपाणी दाणि विहराहि (२०८) एवं कहिय समाही तहविहसंवेगकरणगंभीरो । आउरपचक्खाणं पुणरवि सीहावलोएणं (२०९) नहुसा पुनरुत्तविही जा संवेगं करेइ पण्णंती । उपचक्खाणे ते कहा जोइया भुओ (२१०) एस करेमि पणामं तित्ययराणं अनुत्तरगईणं । सब्वेसिं च जिणाणं सिद्धाणं संजयाणं च (२११) जं किंचि वि दुधरियं तमहं निंदामि सव्वभावेणं । सामाइयं च तिविहं तिविहेण करेमऽ णागारं (२१२) अमितरं च तह बाहिरं च उबहिं सरीरसाहारं । मण-वयण-कायतिकरणसुद्धो हमि त्ति पकरेमि (२१३) बंध पओसं हरिसं रइमरई दीणयं भयं सोगं । राग-दोस-विसायं ऊसुगभावं च पयहामि For Private And Personal Use Only मरणसमाहि- (१९६) ॥१९६॥ ॥१९७॥ ॥१९८॥ ॥१९९॥ ॥ २००॥ ॥२०१॥ ॥ २०२॥ ॥२०३॥ ||२०८|| ॥२०५॥ ॥ २०६॥ ॥२०७॥ ॥२०८॥ ॥ २०९॥ ॥२१०|| ॥२११॥ ॥२१२ ॥ ॥२१३॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51