Book Title: Agam 33A Maransamahi Painnagsutt 10A Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 23
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मरणसम्पति - (२५८) २६॥ ||२६९॥ ||२७०॥ ।।२७११॥ ||२७२।। ||२७३॥ ॥२७४॥ २७५॥ (२६८) जह खुड़ियचक्कवाले पोयं रयणभरियं समुद्दम्मि। निझामया धरती कयकरणा बुद्धिसंपन्ना (१९९) तवपोयं गुणमरियं परीसहुम्मीहि धणियमाइछं। तह आराहिति विऊ उवएसऽवलंबगाधीरा (२७०) जइ तावते सुपुरिसा आयारोवियभरा निरवयक्खा। गिरिकुहर-कंदरगया साईतियअप्पणो अटुं (२४१) जइ ताव सावयाकुलगिरिकंदरविसमदुग्ग-मग्गेसु । धिइधणियबद्धकच्छा साहति उ उत्तिमट्ठाई (२७२) , किं पुण अणगारसहायगेण वेरग्गसंगहबलेणं। परलोएण न सक्का संसारमहोदहि तरिउं (२७३) जिनवयणमप्पमेयं महुरं कत्रामयं सुणेताणं । सक्का हु साहुमज्झे साहेउं अप्पणो अg (२७४) धीरपुरिसपनत्तं सप्पुरिसनिसेवियं परमघोरं । धना सिलातलगया साहिती अप्पणो अटुं (२७५) बाहेति इंदियाई पुव्यमकारियपइचारिस्स। अकयपरिकम्मं कीवं मरणे सुयसंपउत्तंपि (२७६) पुव्वमकारियजोगो समाहिकामो विमरणकालम्मि। न भवइ परीसहसहो विसयसुहपराइओ जीवो (२७७) पुब्बि कारियजोगो समाहिकामो यमरणकालम्मि। दोइ उपरीसहसो विसयसुहनिवारिओजीवो (२७८) पुचि कारियजोगो अनियागोईहिऊण सुहभावो। ताहे मलियकसाओ सजो मरणं पडिच्छिना (२७९) पावाणं कम्माणं अप्पणो सकम्माणं। सक्का पलाइउंजे तवेण सम्पंपउत्तेणं (२८०) इक्कं पंडियमरणं पडिवनइ सुपुरिसो असंमंतो। खिप्पं सो मरणाणं काहिइ अंतं अनंताणं (२८१) किंतं पंडियभरणं काणि व आलंबणाणि मणियाणि | एयाई नाऊणं किं आयरिया पसंसंति (२८२) अणसण पाओवगमंआलंबण झाण-भावणाओ अ। एयाइंनाऊणं पंडियमरणं पससंति (२८३) इंदियसुहसाउलओ घोरपरीसहपराइयपरल्झो। अकयपरिकम्प कीवो मुज्झइ आराहणाकाले (२८) लज्झाए गारवेणं बहुस्सुयमएण वा विदुनरियं। जेन कहिंति गुरूण नहु ते आराहगा होति (२८५) सुज्झइ दुक्करकारी जाणइ मग्गंति पावए कित्ति। • विणिहितो निदंतम्हा आलोयणा सेया ॥२७॥ २७८० ।।२७९॥ ॥२८०॥ 11२८१॥ ॥२८॥ ||२८३॥ १२८४॥ IR८५॥ For Private And Personal Use Only

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