Book Title: Agam 33A Maransamahi Painnagsutt 10A Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 24
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गाहा२८१ ||२८|| ।।२८७॥ ॥२८॥ ॥२८९॥ ।२९०॥ ॥२९॥ २९२॥ १२९३॥ २९४॥ (२८६) अग्गिम्मिय उदयम्मि य पाणेसु य पाण-बीय-हरिएसु । होइमओ संयारोपडियाइजो असंमंतो (acs) नवि कारणं तणमओसंयारोन वियफासुया मूसी। अप्पा खलु संथारो होइ विसुद्धोमरंतस्स (२८८) जिनदयणमणुगया मे होउ मईजाणजोगमल्लीणा जह तम्मि देसकाले अगूढसल्लो चए देहं (२८१) जाहे होइ पमत्तो जिनवरययणरहिओ अणायत्तो। ताहे इंदियचोरा करेंति तव-संजमथिलोयं (२९०) जिनवयणमणुगयमई जंघेलं होड़ संवरपयिटो। अग्गी व वायसहिओ समूल-डालं उहइ कम्म (२९१) जहडाइ वासयहिओ अग्गी हरिए विरुक्खसंधाए। तह पुरिसकारसहिओ नाणी कम्पं खयं नेइ {२९२) जह अग्गिम्मि वि पबले खडपूलिय खिप्पपेव झाइ। तह नाणी विसकम्मखयेइ ऊसासमितेणं (२९३) नहुमरणमि उदग्गे सको बारसविहो सुयक्खंधो। सव्वो अनुचितेउंधतं पिसमत्यचित्तेणं (२९४) एक्कम्मि विजमिपए संवेगं कुणइ वीयरागमए। बच्चइनरो अविरतं मरणं तेण मरितव्यं (२९५) एक्कम्मि विजमिपए संदेगंकुणइ वीयरागमए। सोतेण मोहजालं छिंद अग्झप्पओगेणं (२९६) जेण विरागो जायइतं तं सव्वायरेण करणिझं । मुखइहुतसंवेगी अनंतमोहो असंवेगी (२९७) धमे जिनपत्रतं सम्पमिणं सइहामि तिविहेणं । तस-यावरभूयहियं पंयं नेवाणपग्गस्स (२९८) समणो हतिय पढपंबीयं सव्यत्य संजओ मिति । सव्वं च वोसिरामी जिणेहिं जंजं पडिक्कुटुं (२९१) मणसा वि वितणिशंसव्वं भासाइ मासणिजंच। काएण य करणिशं वोसिर तियिहेण सावलं (३००) अस्संजमयोसिरणं उबहिविवेगो तहा उवसमोय। पडिरूवजोगविणओ खंती मुत्ती विवेगोय (३०१) एवं पञ्चक्खाणं आउरजण आवईसुमावेणं। अनतरं पडिवनोपंतो पावइसमाहि (३०२) मम मंगलमरिहंता सिद्धासाहू सुपंच धम्मोय। तेसि सरणोवगओ सायचं वोसिरामिति (३०३) सिद्धे उपसंपन्नो अरिहंते केवलीय भायेण । एत्तो एगतरेण वि पएण आराहओ होइ ॥२९५॥ ॥२९६॥ प्र.॥ २९७१॥ ॥२९८॥ ॥२९ ॥ ॥३०॥ ॥३०॥ 11३०२॥ For Private And Personal Use Only

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