Book Title: Agam 33A Maransamahi Painnagsutt 10A Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Noll ७१॥ ७२॥ . ||७३|| ||७४|| 11७५॥ ७६|| ।।७७| ||७८॥ (७०) लहिऊण वि संसारे सुनुल्लई कह विमाणुसं जम्म। न लहति मरणदुलहंजीवा धम्मं जिणक्खायं (७१) किच्छा हि पावियस्मिवि सामपणे कम्मसत्तिओसना। सीयंति सायदुलहा पंकोसलनो जहा नागो . जह कागणीइ हेउं मणि-रयणाणं तुहारए कोडिं। तह सिद्धसुहपरोस्खा अबुहा सजति कामेसुं चोरो रक्खसपहओ अत्थत्थी हणइ पंधियं मूढो । इय लिंगी सुहरक्खसपहओ विसायाउरोधमं तेसु वि अलद्धपसरा अवियण्हा दुक्खिया गयमईया । समुतिमरणकाले पगामभय-भैरवं नरयं धम्मोन कओ साहू नजेमिओनय नियंसियं सहं । इहि परंपरारुत्ति नेव पत्ताईसुक्खाई साहूणं नोवकयं परलोयत्ये यजमो न कओ। दुहओवितओविहलो अहजम्मे धम्मरुक्खाणं दिक्खं मइलेमाणा मोहमहावत्तसागराभिहया। तस्स अपडिक्कमंता मरंति ते बालमरणाई इय अवि मोहपउत्ता मोहं भोत्तूण गुरुसगासम्मि | आलोइय निस्सला मरिउंआराहगा ते वि (७९) एत्य विसेसो मण्णइ छलणा अवि नाम होञ्ज जिनकप्पे। किं पुण इयरमुणीणं तेण विही देसिओइणमो अप्पाहीणा जाहे धीरा सुयसारझरियपरमत्था। तो आयरिय विदिनं उर्वति अब्भुजयं मरणं आलोयणाइसंलेहणाइ खमणाइ काल उस्सग्गे । औगासे संयारे निसग वेरग्ग मोक्खाए माणविसेसो लेसा सम्मत्तं पायगमणयंचेव। घउदसओएस विही पढमो मरणपिनायव्यो विनओवयार माणस्स मंजणा पूयणा गुरुजणस्स। तित्ययराण य आणा सुयघम्माऽऽराहणाऽकिरिया छत्तीसाठाणेसुयजे पवयणसारझरियपरमत्था । तेसिं पासे सोही पत्रत्ता धीरपुरिसेहि वयछक्क कायछक्कं बारसगं तह अकप्प गिहिमाणं। पलियंक गिहिनिसेा ससोप पलिमाणसिणाणं आयारवं व उवघारवंच ववहारविहिविहत्य। ओवीलगाय धीरा परूषणाए विठण्णूय तह य अवायविह निजवगा जिणपयस्मि गहियत्या अपरिस्साई पतहा विस्सासरहस्सनिच्छिड्डा ॥७९॥ 1८०॥ ||८|| ||८२॥ ||८३|| 11८४|| 11८५॥ ॥८६॥ (८७) 11८७॥ For Private And Personal Use Only

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