Book Title: Agam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Author(s): Prankunvarbai Mahasati, Artibai Mahasati, Subodhikabai Mahasati
Publisher: Guru Pran Prakashan Mumbai
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શ્રી નદી સૂત્ર
આ પ્રમાણે આ પૂર્વગત દષ્ટિવાદ અંગશ્રુતનું વર્ણન છે. अनुयोग :२३ से किं तं अणुओगे? अणुओगे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- (१) मूलपढ - माणुओगे य (२) गंडियाणुओगे य ।।
से किं तं मूलपढमाणुओगे ? मूलपढमाणुओगे णं अरहताणं, भगवंताणं पुव्वभवा, देवलोगगमणाई, आउं, चवणाई, जम्मणाणि, अभिसेया, रायवरसिरीओ, पवज्जाओ, तवा य उग्गा, केवलणाणुप्पाओ, तित्थपवत्तणाणि य, सीसा, गणा, गणहरा, अज्जा, पवत्तिणीओ, संघस्स चउव्विहस्स जं च परिमाणं, जिण-मणपज्जव-ओहिणाणी, समत्तसुयणाणिणो य, वाई, अणुत्तरगई य, उत्तरवेउव्विणो य मुणिणो, जत्तिया सिद्धा, सिद्धिपहो जह देसिओ, जच्चिरं च कालं पाओवगया, जे जहिं जत्तियाई भत्ताइं छेइत्ता अंतगडे, मुणिवरुत्तमे तिमिरओघविप्पमुक्के, मोक्खसुहमणुत्तरं च पत्ते । एवमण्णे य एवमाई भावा मूलपढमाणुओगे कहिया । से त्तं मूलपढमाणुओगे। शार्थ :- मूलपढमाणुओगे = भूषप्रथमानुयो। मने, गंडिआणुओगे = oilssआनुयोग, देवगमणाई - विक्षोभ ४, आउं = हेवसानुमायुष्य, चवणाई = स्वर्गथी यवन, जम्मणाणि = तीर्थ४२३५४न्म, अभिसेया = ४न्माभिषे अने, रायवरसिरीओ = प्रधान। यसक्ष्मी, पवज्जाओ = प्रन्या, तवा = त५, उग्गा = घोर त५, केवलणाणुप्पाओवशाननी उत्पत्ति, तित्थपवत्तणाणि य = तीर्थ४२नी प्रवृत्ति ४२वी, सीसा = तेना शिष्यो, गणा = १७, १४२ = गधरो, अज्जापवत्तिणीओ य = आर्यामओ अने प्रवर्तिनीसो, संघस्स चउव्विहस्स = यार प्रारना संघन, च = 2, परिमाण = परिभाछ, जिण-मणपज्जव-ओहिणाणी = नि, मन:पर्यशानी, अवधिशानी, समत्तसुयणाणिणो = समस्त- संपूर्ण श्रुतशानी, वाई = वाही, अणुत्तरगई = अनुत्तर गति, उत्तरवेउव्विणो = उत्तरवैडिय, मुणिणो = भुनि, जत्तिया = 2241, सिद्धा = सिद्ध थया, सिद्धिपहोजहदेसिओ = सिद्धिपहनो से शत 64हेश साप्यो, जच्चिरं च कालं = 24॥ समय सुघी, पाओवगया = पाइपोगमन, संथारो यो डोय, जहिं हे स्थान ५२, जत्तियाई भत्ताई = 24 (मत, तिमिरओघविप्पमुक्के = मशान घा२ना प्रवाsथी भुत, मुणिवरुत्तमे = भुनिमोमा उत्तम, अंतगडे = अंतकृत थया, मुक्खसुहमणुत्तरं = भोक्षन। अनुत्तर सुमने, पत्ते = प्राप्त थया, एवमण्णे य = अन्य, एवमाई = ईत्याहि, भावा = (भाव, मूलपढ माणुओगे = भूतप्रथमानुयोगमा, कहिया - Bह्या छे. भावार्थ :- प्रश्र-अनुयोग 241 रनो छ?
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