Book Title: Agam 26 Chhed 03 Vyavahara Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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आलोइयं १, पुव्वं पडिसेवियं पच्छा आलोइयं २, पच्छा पडिसेवियं पुव्वं आलोइयं ३, पच्छा पडिसेवियं पच्छा आलोइयं ४ । अपलिउंचिए अपलिउंचियं १, अपलिउँचिए पलिउंचियं २, पलिउंचिए अपलिउंचियं ३, पलिउंचिए पलिउंचियं ४। अपलिउंचिए अपलिउंचियं आलोएमाणस्स सबमेयं सकयं साहणिय जे एयाए पट्ठवणाए पट्टविए निविसमाणे पडिसेवइ सेवि कसिणे तत्थेव आरुहियव्वे सिया ॥१७॥
जे भिक्खू चाउम्मासियं वा, साइरेगचाउम्मासियं वा, पंचमासियं वा साइरेगपंचमासियं वा, एएसिं परिहारहाणाणं अन्नयरं परिहारहाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा, पलिउंचिय आलोएमाणस ठवणिज्ज ठावइत्ता करणिज्ज वेयावडियं, ठाविएवि पडिसेवित्ता सेवि कसिणे तत्थेव आरुहियव्वे सिया, पुव्वं पडिसेवियं पुव्वं आलोइयं १, पुव्वं पडिसेवियं पच्छा आलोइयं २, पच्छा पडिसेवियं पुव्वं आलोइयं३, पच्छा पडिसेवियंपच्छा आलोइयं ४,। अपलिउंचिए अपलिउंचियं १,अपलिउंचिए पलिउंचियं २,पलिउंचिए अपलिउंचियं ३, पलिउंचिए पलिउंचियं ४, । पलिउंचिए पलिउंचियं आलोएमाणस्स सव्वमेयं सकयं साहणिय जे एयाए पट्टवणाए पट्टविए निव्विसमाणे पडिसेवइ सेवि कसिणे तत्थेव आरुहियव्वे सिया ॥१८॥
जे भिक्खू बहुसोवि चाउम्मासियं वा बहुसोवि साइरेगचाउम्मासिंयं वा, बहुसोवि पंचमासि वा बहुसोवि साइरेगपंचमासियं वा, एएसि परिहारहाणाणं अन्नयरं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा, अपलिउंचिय आलोएमाणत्स ठवणिज्ज ठावइत्ता करणिज्ज वेयावडियं, ठाविएवि पडिसेवित्ता सेवि कसिणे तत्थेव आरुहियव्वे सिया, पुवं पडिसेविय पुवं आलोइयं १, पुव्वं पडिसेवियं पच्छा आलोइयं २, पच्छा पडिसेवियं पुव्वं आलोइयं ३, पच्छा पडिसेवियं पच्छा आलोइयं ४ । अपलिउंचिए अपलिउंचियं १, अपलिउंचिए पलिउंचियं २, पलिउंचिए अपलिउंचियं ३, पलिउंचिए पलिउंचियं ४, अपधिउंचिए अपलिउंचियं आलोएमाणस्स सव्वमेयं सकयं साहणिय जे एयाए पट्टवणाए पट्टविए निव्विसमाणे पडिसेवइ सेवि कसिणे तत्थेव आरुहियव्वे सिया ॥१९॥
जे भिक्खू बहुसोवि चाउम्मासियं वा बहुसोवि साइरेगचाउम्मासियं वा बहुसोवि पंचमासियं वा बहुसोवि साइरेगपंचमासियं वा, एएसिं परिहारहाणाणं मन्नयरं परिहारहाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा, पलिउंचिय आलोएमाणस्स ठवणिज्ज
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