Book Title: Agam 26 Chhed 03 Vyavahara Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 330
________________ कप्पइ णिगंथाण वा पिबंधीण. वा मिथिअन्नगणाओ आगयं खुयायार सबलायारं भिन्नायारं संकिलिट्ठायारचरितं तस्स ठाणस्स आलोयावेत्ता पडिक्कमावेत्ता निंदावेत्ता गरिहावेत्ता विउद्यावेत्ता विसोहावेत्ता अकरणार अण्डावेत्ता' अहारिहं पायच्छित्तः तपोकम्भं पडिवज्जाचेता उवट्ठावेत्तए वा सं{भित्तए का, संवसितए का, तीसे इत्तरिवं दिसं वा अणुदिस वा उद्दिसिसए वा धारिसए का ॥२४॥ ॥ ववहारे छट्ठो उद्देसो समत्तो ॥७॥

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