Book Title: Agam 26 Chhed 03 Vyavahara Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 332
________________ मोइयं करेमि । सा य से पतितप्षेज्जा एवं से नो कप्पइ पारोक्खं पांडिएकक सभोइयं विसंभोइयं करित्तए, सा य से नो पडितप्पेज्जा, एवं से कप्पइ पारोक्लं पाहिएकक संभोइयं क्सिंभोइयं करित्तए ॥५॥ नो कप्पइ निग्गंथाणं निग्गंथिं अप्पणो अढाए पव्वावेचए वा, मुंडावेत्तएमा, मेहावेज़ए वा, उवावेजए वा, सं ज़िनए वा, संवसित्तए वा, तीसे इत्तरियं दिसं वा कादिसं वा उद्दिसित्तए वा धारिचए वा ॥६॥ . काप्या जिग्गवाणं णिग्गथिं अन्नासिं अझए पब्बावेत्तए वा, मुंडावेत्तए वा, सेहावेत्तए वा, उक्छाधेत्तए बा, संभुजित्तए वा, संवसिजए वा, तीसे इजरियं दिसंबा अणुदिसं वा, उदिसित्तए वा, धारित्तए वा ॥७॥ मो. कापड णिगवीणं णिगंथं अपणो अटाए पन्चावेत्तए वा मुंडावेत्तए वा, सेहावेत्तए ना, उवहावेत्तए वा, संभुंजित्तए.वा, संवसित्तए वा, तस्स इतरिय-दिसंबा, अपदिसंवा उदिखिलए वा ॥८॥ कप्पइ णिग्गंथीणं णिग्गंथ णिग्गंथाणं अट्ठाए पवावेत्तए वा, मुंडावेत्तए ची, सेवेतए वा, उवहावेलए बा, संभुजितए बा, संवसित्तए वा, तस्स-इत्तरियं दिसं वा, अणुदिसं या अदिसित्तए वा धास्तिर वा ॥९॥ ___ नो कप्पइ 'णिगंथीणं 'विइगिठियं दिस वा अणुदिसं वा, उद्दिसित्तए वा चारित्तए वा ॥१०॥ कप्पइ णिग्गंथाणं विइगिट्टियं दिसं वा अणुदिसं वा उदिसित्तए वा धारित्तए वा ॥ नो कप्पइ निग्गंथाणं विइगिट्ठाई पाहुडाई विओसचित्तए ॥१२॥ कप्पइ णिग्गंधीणं विइगिट्ठाई पाहुडाई विओसवित्तए ॥१३॥ नो कप्पइ णिग्गंथाणं विइगिहे काले सज्झायं करित्तए ॥१४॥ कपइ णिग्गंधीणं दिगिट्टे काले सन्झायं करित्तए णिग्गंथनिस्साए ॥१५॥ णो कप्पइ णिग्गंथाण वा णिग्गयीण वा असज्झाइए सज्झायं करिसए ॥१६॥ कप्पइ णिग्गंथाण वा 'णिग्गंधीण वा सज्झाइए सज्झायं करित्तए ॥१७॥ नो कप्पइ णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा अप्पणो असज्झाइए सज्झायं करित्तए कप्पइ ण्डे अण्णमण्णस्स वायणं दलइत्तए ॥१८॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346