Book Title: Agam 26 Chhed 03 Vyavahara Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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कप्पइ णिग्गंथाण वा णिगंथीण वा पुष्यामेव ओग्गहं अणुन्नवेत्ता तो पच्छा ओपिण्डिताए ॥१०॥
अह पुण एवं जाणेज्जा इह खलु णिम्पंथाण वा णिग्गथीण वा णो सुलभे पाडिहारिए सेन्मासंथारए-ति कटु एवं हं कप्पइ पुष्यामेव ओग्गहं ओगिण्हिता तो पज्छा अणुन्नवेत्तए, मा दुहओ अज्जो ! वइ अणुलोमेण अणुलोमियव्ये सिया ॥११॥
णिगंथस्स गाहापाइकुलं पिंडवाथपडियाए अणुपविहस्स अहालहुस्सए उपगरणमाए परिभो सिया तं च केइ साहम्मिए पासेज्जा कप्पइ से सागारकडं गहाय जस्थेव अन्नमन्नं वासेज्जा तत्थेव एवं वएज्जा-इमे भो अज्जो ! किं परिन्माए ? से य वएज्जापरिन्नाए त्तस्सेव पडिणिज्मायववे सिया, से य वएज्जा-नो परिन्नाए तं नो अप्पमा परिभुंजेज्जा नो अन्नमन्नस्स दावए एगंते बहुफासुए थंडिले परिहवेयव्वे सिया ॥१२॥
निर्णयस्स णं बहिया वियारभूमि पा विहारभूमि वा निक्खंतस्स अहालहुस्सए उवगणनाए परिम सिया तं च केइ साहम्मिए पासेज्जा कप्पइ से सागारकडं गहाय जत्थेव अन्नमन्नं पासेज्जा तत्थेव एवं वएज्जा-इमे भो अज्जो ! किं परिन्नाए ? से यसएज्जा-परिन्ताए तरसेव पडिणिज्जायन्ये सिया, से य वएज्जा-नो परिन्नाए तं-नो अपमा परि नेज्जा नो अन्नमन्नस्स दाकए गते बहुफासुए थंडिले परिटुवेयवे सिया ॥१३॥
हिमांवरस णं गामाणुगाम दुइज्जमाणस्स अन्नयरे उघगरणजाए परिभाडे सिया तं च केइ साहम्मिए पासेज्जा कप्पइसे सागारकडं गहाय दूरमेव अद्भाणं परिवहित्तए, जत्थेव अन्नमन्नं पासेज्जा तस्थेव एवं वएज्जा-इमे भो अज्जो ! किं परित्नाए से य वएज्जा परिन्नाए तस्सेव पडिणिज्जायवे सिया, से य वएज्जा-नो परिन्नाए सं'नो अप्पणा परिमुंजेज्जा नो अन्नमन्नस्स दावए, एगते बहुफासुए थंडिले परिहवेयवे सिया ॥१४॥
कापइ जिग्मंयाण वा, णिग्गंथीण वा अइरेगं पडिग्गहं अन्नमन्नस्स अद्वाए दरमवि श्रद्धागं परिवंहितए था धारितए पा परिग्गहित्तए वा, सो वाणं धारेस्सइ, अहं वा णं धारिस्सामि अन्नो वा गं धारेस्सइ नो से कप्पइ तं अणापुच्छिय अणाम. तिय अन्नमन्तेसिंदाउं वा, अमुप्पदावा, कप्पइ सेतं ..आपुच्छिय आमंतिय अन्नमन्नेसि दाउं वा अणुप्पदाउं वा ॥१५॥
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