Book Title: Agam 26 Chhed 03 Vyavahara Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 316
________________ पडिग्गहंसि असणं वा पाणं वा खाइम वा साइमं वा भोत्तए वा पायए वा, कप्पइ से सयंसि पडिग्गहंसि सयंसि पलासगसि कमढगंसि वा सयंसि खुव्वगंसि पाणिसि वा उद्धटु उद्धटु वा भोत्तए वा पायए चा, एस कप्पे अपारिहारियस्स पारिहारियओ ॥२६॥ परिहारकप्पट्ठिए भिक्खू थेराणं पडिग्गहेणं बहिया थेराणं वेयावडियाए गच्छेज्जा थेरा य वएज्जा पडिग्गाहेहि अज्जो ! तुमंपि एत्थ भोक्खसि वा पाहसि वा, एवं से कप्पइ पडिग्गाहित्तए, तत्थ णो कप्पइ पारिहारिएणं अपारिहारियस्स पडिग्गहंसि असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा भोत्तए वा पायए वा, कप्पइ से सयंसि पडिग्गहंसि वा सयंसि पलासगसि कमढगंसि वा संयंसि खुब्वगंसि वा सयंसि पाणिसि का उद्धटु उद्धष्टु भोत्तए वा पायए वा एस कप्पे पारिहारियस्स पारिशारिवओत्ति बेमि ॥२७॥ ॥ वक्हारे बीभो उद्देसो समयो ॥२॥

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