Book Title: Agam 26 Chhed 03 Vyavahara Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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पारंचियं भिक्खु अगिरिभूयं नो कप्पर तस्स गणाचच्छेयगस्स उवद्वावित्तए । पारंचियं भिक्खु गिभूियं कप्पर तस्स गणावच्छेयगस्स उद्वावित्त ॥ १९ ॥
अणवपं भिक्खु पारंचियं वा भिक्खुं गिरिभूयं वा अगिरिभूयं वा कप्पर तस्स गावच्छेयस्स उवावित्तए जहा तस्स गणस्स पत्तियं सिया ॥२०॥
दो साहम्मिया एगयओ विहरंति, एगे तत्थ अण्णय रं अकिच्चट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा, अहष्णं भंते ! अमुएणं साहुणा सद्धिं इमंमि य कारणंमि मेहुणपडिसेवी, पच्चयहेउ च सयं पडिसेवियं भणइ तत्थ पुच्छियन्वे किं पडिसेवी ? अपडिसेवी ?, से य वएज्जा पडिसेवी परिहारपत्ते । से य वएज्जा णो पडिसेबी णो परिहारपत्ते । जं से पमाणं वयइ से य पमाणाओ घेतव्वे सिया से किमाहु भंते !, सच्चपइण्णा ववहारा ॥२१॥
भिक्खू य गणाओ अवक्म्म ओहाणुपेही वएज्जा, से आहच अणोहाइओ, सेय इच्छेज्जा दोच्चपि तमेव गणं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए । तत्थ णं थेराणं इमेयारूवे विवाए समुप्पज्जिज्जा इमं अज्जो ! जाणह किं पडिसेवी किं अपडिसेवी ? से य वएज्जा पडि सेवी परिहारपत्ते से य वएज्जा नो पडिसेवी नो परिहारपत्ते, जं से पमाणं वयइ सेय पमाणाओ घेतव्वे से किमाहु भंते !, सच्चपइण्णा ववहारा ||२२||
एगपविखयस्स भिक्खुयस्स कप्पड़ आयरियउवज्झायाणं इत्तरियं दिसं वा अणुदिसं वा उद्दित्तिए वा धारितए वा जहा वा तस्स गणस्स पत्तियं सिया || २३॥
ard परिहारिया बहवे अपरिहारिया इच्छेज्जा एगयओ एगमासं वा दुमासं वा तिमासं वा चाउम्मासं वा पंचमासं वा छम्मासं वा वत्थए ते अन्नमन्नं संभुजति अन्नमन्नं नो संभुंजंति मासंते तओ पच्छा सव्वेवि एगयओ संभुंजंति ||२४||
परिहारकपट्ठियस्स भिक्खुस्स णो कप्पर असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वादा वा अणुष्पदा वा, थेरा णं वएज्जा इमं ता अज्जो ! तुमं एएसिं देहि वा • अणुप्पदेहि वा एवं से कप्पर दाउँ वा अणुष्पदाडं वा, कप्पर से लेवं अणुजाणावित्तए अणुजाणा भंते ! लेवाए एवं से कप्पर लेवं समासेवित्तए ॥ २५ ॥
परिहारकपट्टिए भिक्खू सरणं पडिम्गहेणं बहिया अप्पणो वेयावडियाए गच्छेज्जा, थेरा य तं वज्जा - पडिग्गाहेहि अज्जो ! अपि भोक्खामि वा पाहामि वा, एवं णं से कप्पइ पडिग्गाहिंत्तर, तत्थ णो कप्पर अपरिहारिएणं परिहारियस्स
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