Book Title: Agam 26 Chhed 03 Vyavahara Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text ________________
१३
सबलाया कि लिट्ठायारे अप्पसुए अप्पागमे नो कप्पइ आयरियत्ताए उवज्झायत्ताए गणावच्छेयगत्ताए उद्दिसित्तए ||८||
निरुद्धपरियाए समणे णिग्गंथे कप्पर तदिवस आयरियउवज्झायत्ताए उद्दिसित्तए, से किमाहु भंते!, अस्थि णं थेराणं तहारूवाणि कुलाणि कडाणि पत्तियाणि थेज्जाणि सासियाणि संमयाणि सम्मुइयकराणि अणुमयाणि बहुमयाणि भवंति, तेहिं कडेहिं तेहिं पत्तिर्हि तेहिं थेज्जेहिं तेहिं वेसासिएहिं तेहिं संमएहिं तेहिं संमुइयकरेहिं तेहिं अणुम ए हिं तेहि बहुमहिं जं से निरुद्धपरियाए समणे णिग्गंथे कप्पइ आयरियउवज्झायत्ताए उद्दित्तिए तद्दिवसं ॥९॥
निरुद्धवास परियाए समणे णिग्गंथे कप्पइ आयरियउवज्झायत्ताए उद्दिसित्तए समुच्छेयक पंसि तस्स णं आयारपकप्पस्स देसे अवट्ठिए सेय 'अहिज्जिस्सामि'- त्ति अहिज्जेज्जा एवं से कपइ आयरियउवज्झायत्ताए उद्दि सित्तए, से य 'अद्विज्जिस्सामि'-- तिनो अहिज्जेज्जा एवं से नो कप्पइ आयरियउवज्झायत्ताए उद्दित्तिए तद्दिवसं ॥१०॥
णिग्गंथस्स णं नव - डहर - तरुणस्य आयरियउवज्झाए वीसंभेज्जा नो से कप्पइ अणायरियउवज्झायत्ताए होत्तए, कप्पड़ से पुव्वं आयरियं उद्दिसावेत्ता तओ पच्छा उत्र झा, से किमाहु भंते ! दुसंगहिए समणे णिग्गंथे तंजहा आयरिएण उवज्झाएण य ॥११॥
णिग्गंथीए णं नव डहर - तरुणीए आयरियउवज्झाए वीसंभेज्जा नो से कप्पइ अणायरियउवज्जायत्ताए होतए, कप्पर से पुव्वं आयरियं उद्दिसावेत्ता तओ उवज्झायं, तओ पच्छा पवित्तिणि, से किमाहु भंते ! तिसंगहिया समणी निग्गंथी तंजहा - आयरिएणं उवज्झाणं पवित्तिणीए य ॥ १२ ॥
भिक्खू य गणाओ अवक्र्क्रम्म मेहुणं पडिसेवेज्जा तिण्णि संवच्छराणि तस्स तुप्पत्तियं नो कप्पइ आयरियतं वा जाव गणावच्छेयगत्तं वा उद्दित्तिए वा धारितए वा, तिहिं संवच्छ रेहिं वीइक्कतेहिं चउत्थगंसि संवच्छरंसि पट्ठियंसि ठियस्स उवसंतस्स उवरयस्स पडि विरयस्स गिव्विगारस्स, एवं से कप्पर आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेयगत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारितए वा ॥ १३ ॥
गणावच्छेयए गणावच्छेयगत्तं अणिक्खिवित्ता मेहुणधम्मं पडिसेवेज्जा जावज्जी वाए तस्स तप्पत्तियं नो कप्पर आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेयगतं वा उद्दिसित्तए वा धारितए वा ॥१४॥
Loading... Page Navigation 1 ... 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346