Book Title: Agam 26 Chhed 03 Vyavahara Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 325
________________ ॥ पंचमो उद्देसो ॥ नो कप्पइ पवत्तिणीए अप्पविइयाए हेमंतगिम्हासु चारए ॥१॥ कप्पइ पवत्तिणीए अप्पतइयाए हेमंतगिम्हासु चारए ॥२॥ नो कप्पइ गणावच्छेइणीए अप्पतइयाए हेमंतगिम्हासु चारए ॥३॥ कप्पइ गणावच्छेइणीए अप्पचउत्थीए हेमंतगिम्हासु चारए ॥४॥ नो कप्पई पवत्तिणीए अप्पतइयाए वासावासं वत्थए ॥५॥ कप्पा पवत्तिणीए अप्पचउत्थीए वासावासं वत्थइ ॥६॥ नो कप्पइ गणावच्छेइणीए अप्पचउत्थीए वासावासं वत्थए ॥७॥ कप्पइ गणावच्छेइणीए अप्पपंचमाए वासावासं वत्थए ॥८॥ से गामंसि वा नगरंसि वा निगमंसि वा रायहाणीए वा खेडंसि वा कब्बडंसि वा मडंबंसि वा पट्टणंसि वा दोणमुहंसि वा आसमंसि वा संवाहंसि वा संनिवेसंसि वा बहूणं पत्तिणीणं अप्पतइयाणं, बहूणं गणावच्छेइणीणं अप्पचउत्थीणं कप्पइ हेमंतगिम्हासु चारए अन्नमन्ननिस्साए ॥९॥ से गामंसि वा नगरंसि वा निगमंसि वा रायहाणीए वा खेडंसि वा कब्बडंसि वा मडंबंसि वा पणसि वा दोणमुहंसि वा आसमंसि वा संवाहंसि वा संनिवेसंसि वा बहूणं पवत्तिणीणं अप्पचउत्थोणं, बहूगं गणावच्छेइणीणं अप्पपंचमाणं कप्पइ वासावास वत्थए अन्नमन्ननिस्साए ॥१०॥ गामाणुगाणं दुइज्जमाणा णिग्गंथी य जं पुरओ काउं विहरेज्जा सा य आहच्च वीसंभेज्जा अस्थि य इत्थ काइ अन्ना उवसंपज्जणारिहा सा उवसंपज्जियचा. नस्थि य इत्थ काइ अन्ना उवसंपज्जणारिहा तीसे य अप्पणो कप्पाए असमत्ते एवं से कप्पई एगराइयाए पडिमाए जणं जणं दिसं अन्नाओ साहम्मिणीओ विहरंति तं गं तं गं दिसं उवलित्तए, नो से कप्पइ तत्थ विहारवत्तियं वत्थए, कप्पइ से तत्थ कारणवत्तियं वत्थए, तंसि च ण कारणंसि निट्ठियंसि परा वएज्जा वसाहि अज्जे ! एगरायं वा दुरायं वा, एवं से कप्पइ एगरायं वा दुरायं वा वत्थए, नो से कप्पइ परं एगरायाओ वा दुरायाओ वा वत्थए. जं तत्थ परं एगरायाओ वा दुरायाओ वा बसइ से संतरा छेए वा परिहारे वा ॥११॥ वासावासं पज्जोसविया णिगंथी य जं पुरओ काउं विहरइ सा आहच्च वीसंभेजा अत्थि य इत्थ काइ अन्ना उवसंपज्जणारिहा उवसंपज्जियव्वा, नत्थि य इत्य

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