Book Title: Agam 26 Chhed 03 Vyavahara Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 320
________________ आयरियउवज्झाए आयरियउवज्झायत्तं णिक्खिवित्ता ओहाएज्जा तिण्णि संबच्छराणि तस्स तप्पत्तियं नो कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेयगत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारित्तए वा, तिहिं संवच्छरेहिं वीइक्कंतेहिं चउत्थगंसि संवच्छरंसि पट्टियंसि ठियस्स उवसंतस्स उवरयस्स पडिविरयस्स निविगारस्स एवं से कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेयगत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारित्तए वा ॥२२॥ भिक्खू य बहुस्सुए बब्भागमे बहुसो बहुसु आगाढागाढेसु कारणेसु माई मुसा. वाई असुई पापजीवी, जावज्जीवाए तस्स तप्पत्तियं नो कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेयगत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारित्तए वा ॥२३॥ ____ गणावच्छेयए बहुस्सुए बभागमे बहुसो बहुसु आगाढागाढेसु कारणेसु माई मुसावाई असुई पावजीवी जावज्जीवाए तस्स तप्पत्तियं नो कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेयगत्तं वा उदिसित्तए वा धारित्तए वा ॥२४॥ ___ आयरियउवज्झाए बहुस्सुए बब्भागमे बहुसो बहुसु आगाढागाढेसु कारणेसु माई मुसाबाई असुई पावजीवी जावज्जीवाए तस्स तप्पत्तियं नौ कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेयगत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारित्तए वा ॥२५॥ बहवे भिक्खुणो बहुस्सुया बब्भागमा बहुसो बहुसु आगाढागाढेसु कारणेसु माई मुसाबाई असुई पावजीवी जावज्जीवाए तेसिं तप्पत्तियं नो कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेयगत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारित्तए वा ॥२६॥ बहवे गणावच्छेयया बहुस्सुया बब्भागमा बहुसो बहुसु आगाढागाढेसु कारणेसु माई मुसाबाई असुई पावजीवी जावज्जीवाए तेसिं तप्पत्तियं नो कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेयगत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारित्तए वा ॥२७॥ बहवे आयरियउवज्झाया बहुस्सुया बभागमा बहुसो बहुसु आगाढागाढेसु कारणेसु माई मुसावाई अमुई पावजीवी जावज्जीवाए तेसिं तप्पत्तियं नो कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेयगत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारित्तए वा ॥२८॥ बहवे भिक्खुणो बहवे गणावच्छेयगा बहवे आयरियउवज्झाया बहुस्सुया बब्भागमा बहुसो बहुसु आगाढागाढेसु कारणेसु माई मुसावाई असुई पावजीवी जावज्जीवाए तेसिं तप्पत्तियं नो कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेयगत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारित्तए वा ॥ ॥ ववहारे तइओ उद्देसो समत्तो ॥३॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346