Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Varunmuni, Sanjay Surana
Publisher: Padma Prakashan
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द्वितीय श्रुतस्कंध में अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह के स्वरूप का और उनके सुखद फलों का सविस्तार निरुपण किया गया है।
प्रथम संवरद्वार अहिंसा में अहिंसा भगवती का स्वरूप, इसके पर्यायवाची नाम, किन महापुरुषों द्वारा ये की जाती है और अहिंसा वृत्ति को सम्पन्न बनाने में कारण-भूत पाँच भावनायें - इन विषयों के द्वारा अहिंसा भगवती का सर्वांगीण चित्रण किया गया है।
सत्य रूप द्वितीय संवरद्वार में विविध प्रकार के सत्यों का वर्णन किया है। सत्य बोलने वालों को वाणी मर्यादा और शालीनता का ध्यान रखने का निर्देश दिया गया है। तीसरे अचौर्य संवरद्वार में अचौर्य संबंधित अनुष्ठानों का वर्णन किया गया है। इसमें अस्तेय की स्थूल से लेकर सूक्ष्म तक व्याख्या
गई है। चौथे ब्रह्मचर्य संवरद्वार में ब्रह्मचर्य के गौरव का प्रभावशाली शब्दों में विस्तार से निरुपण एवं इसकी साधना करने वालों के सम्मानित होने का प्ररुपण किया गया है। ब्रह्मचर्य विरोधी प्रवृत्तियों का भी उल्लेख किया है और यह बताया गया है कि ये प्रवृत्तियाँ ब्रह्मचारी साधक को साधना से पतित करने में कारणभूत बनती हैं।
पाँचवें और अंतिम अपरिग्रह संवरद्वार में अपरिग्रह वृत्ति के स्वरूप, तद्विषयक अनुष्ठानों और अपरिग्रह व्रतधारियों के स्वरूप का वर्णन है। इसकी पाँच भावनाओं के वर्णन में सभी इंद्रियजन्य विषयों के त्याग का संकेत किया गया है।
इस प्रकार से प्रस्तुत सूत्र का प्रतिपाद्य विषय पाँच आश्रवों और पाँच संवरों का निरुपण है। भव्य जीव इन आश्रवों को जानें और उनका त्याग करें तथा इन संवरों को जानें और उसकी आराधना करें और कर्म मल से मुक्त होकर आत्मा के शुद्ध स्वरूप, सिद्ध दशा को प्राप्त करें ।
प्रस्तुत संस्करण सचित्र क्यों ?
प्रस्तुत सचित्र आगमों को पढ़ते-पढ़ते कई बार पाठकों के मन में यह जिज्ञासा उठती है स्थानकवासी आगमों के प्रकाशन में कभी चित्र सहित आगम प्रकाशित नहीं किये गये। फिर ये चित्र की परम्परा क्यों ?
इसके उत्तर में हम सिर्फ यही कहेंगे कि एक ही बात को कई बार कहने पर भी वह हमारे मन-मस्तिष्क पर उतना प्रभाव नहीं डालती जितना प्रभाव चित्र को सिर्फ एक बार देखने से पड़ता है। आगम ज्ञान का विषय इतना गहन है कि वह आसानी से ग्राह्य नहीं है । अतः आगम के भावों को लोगों के हृदय तक ले जाने के लिए हम यह संस्करण सचित्र बनाकर साधारण ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों के लिए भी उपयोगी बना रहे हैं। हमें विश्वास है कि आगम के ज्ञान की जो बातें लोग आसानी से नहीं समझ पाते, वो चित्रों के माध्यम से जरूर समझ पायेंगे। जब भी इस आगम का नाम या इसका विषय लोगों के सामने आयेगा तो तुरन्त उसके चित्र उनके मानस पटल पर उभर आयेंगे और वीतराग श्री तीर्थंकर भगवान द्वारा आगम में फरमाई गई बातों का मर्म वे आसानी से ग्रहण कर सकेंगे।
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