Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana Publisher: Agam Prakashan Samiti View full book textPage 8
________________ समर्पण जिनका पावन स्मरण आज भी जिनशासन की सेवा की प्रशस्त प्रेरणा का स्रोत है, जिन्होंने जिनागम के अध्ययन-अध्यापन के और प्रचार-प्रसार के लिये प्रबल पुरुषार्थ किया, स्वाध्याय-तप की विस्मृतप्रायः प्रथा को सजीव स्वरूप प्रदान करने के लिए 'स्वाध्यायि-संघ' की संस्थापना करके जैन समाज को चिरऋणी बनाया, जो वात्सल्य के वारिधि, करुणा की मूर्ति और विद्वत्ता की विभूति से विभूषित थे, अनेक क्रियाशील स्मारक आज भी जिनके विराट व्यक्तित्व को उजागर कर रहे हैं, उन स्वर्गासीन महास्थविर प्रवर्तक मुनि श्री पन्नालाल जी म० के कर-कमलों में सादर समर्पित. - मधुकर मुनि (प्रथम संस्करण से)Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 827