Book Title: Adhyatmik Daskaran
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 18
________________ दशकरण चर्चा असंप्राप्तासृपाटिका संहनन, वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श, अगुरुलघु, उपघात, परघात, उछ्वास, आतप, उद्योत, अप्रशस्त विहायोगति, त्रस, स्थावर, बादर, पर्याप्त, प्रत्येक शरीर, अस्थिर, अशुभ, दुर्भग, दुःस्वर, अनादेय, अयशः कीर्ति और निर्माण कर्म का बीस कोड़ाकोड़ी सागरोपम है। दोइन्द्रिय- तीनइन्द्रिय- चारइन्द्रिय जाति, वामन संस्थान, कीलक संहनन, सूक्ष्म अपर्याप्त और साधारण नामकर्म का अठारह कोड़ाको सागरोपम है। आहारक शरीर, आहारकशरीर अंगोपांग और तीर्थङ्कर प्रकृतिनाम कर्म का अन्तः कोड़ाकोड़ी सागरोपम है । न्यग्रोधपरिमण्डल संस्थान और वज्रनाराच संहनन का बारह कोड़ाकोड़ी सागरोपम है । • स्वाति संस्थान और नाराच संहनन का चौदह कोड़ाकोड़ी सागरोपम है। स्वाति संस्थान और अर्द्धनाराच संहनन का सोलह कोड़ाकोड़ी सागरोपम प्रमाण उत्कृष्ट स्थितिबन्ध होता है। 13. प्रश्न :- वेदनीय कर्म की उत्तर प्रकृतियों का उत्कृष्ट स्थितिबन्ध कितना है ? ३४ उत्तर :- असातावेदनीय का तीस कोड़ाकोडी सागरोपम प्रमाण और साता वेदनीय का पन्द्रह कोड़ाकोड़ी सागरोपम प्रमाण उत्कृष्ट स्थितिबन्ध होता है। 14. प्रश्न:- आयु कर्म के भेदों का उत्कृष्ट स्थितिबन्ध कितना है? उत्तर :- नरकायु और देवायु का उत्कृष्ट स्थिति बन्ध तैतीस सागरोपम और मनुष्य तिर्यंचा का उत्कृष्ट स्थितिबन्ध तीन पल्योपम होता है। 15. प्रश्न :- गोत्रकर्म के भेदों का उत्कृष्ट स्थितिबन्ध कितना है ? Kilanchi Data Ananji Adhyatmik Duskaran Book (18) आगम-आधारित प्रश्नोत्तर (बंधकरण) अ. १ ३५ उत्तर :- उच्च गोत्र का दस कोड़ाकोड़ी सागरोपम और नीच गोत्र का बीस कोड़ाकोड़ी सागरोपम प्रमाण उत्कृष्ट स्थितिबन्ध होता है । 16. प्रश्न :- यह उत्कृष्ट स्थितिबन्ध किसे होता हैं? उत्तर :- उत्कृष्ट स्थितिबंध संज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्तक जीवों के ही होता है। 17. प्रश्न :- कर्मों का जघन्य स्थितिबन्ध कितना है? उत्तर : (पाँच) ज्ञानावरण, (चार) दर्शनावरण, मोहनीय, आयु और (पाँच) अन्तराय का जघन्य स्थितिबन्ध अन्तर्मुहूर्त प्रमाण है। नाम और गोत्र कर्म का जघन्य स्थितिबन्ध आठ मुहूर्त प्रमाण है। वेदनीय कर्म का जघन्य स्थितिबन्ध बारह मुहूर्त प्रमाण है। 18. प्रश्न :- यह जघन्य स्थितिबन्ध किनके पाया जाता है? उत्तर :- मोहनीय कर्म का जघन्य स्थितिबन्ध अनिवृत्तिकरण बा साम्पराय नामक नौवें गुणस्थानवर्ती मुनिराजों के पाया जाता है। आयु कर्म का जघन्य स्थितिबन्ध कर्मभूमिया मनुष्य तिर्यंचों के पाया जाता है। शेष कर्मों का जघन्य स्थितिबन्ध सूक्ष्म साम्पराय नामक दसवें गुणस्थानवर्ती मुनिराजों के पाया जाता है। 19. प्रश्न :- एक समय में बंधे हुए सभी पुद्गल परमाणुओं की स्थिति क्या समान होती है ? उत्तर :- नहीं, असमान ही होती है। प्रत्येक समय में उदय में आनेवाले प्रत्येक निषेक की स्थिति भिन्न-भिन्न ही होती है । उसका विवरण एक समय में जो स्थितिबन्ध होता है, उसमें बन्ध समय से लेकर आबाधा काल पर्यन्त तो बन्धे हुए परमाणुओं का उदय ही नहीं होता । आबाधा काल बीतने पर प्रथम समय से लेकर बन्धी हुई स्थिति के

Loading...

Page Navigation
1 ... 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73