Book Title: Adhyatmik Daskaran
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 64
________________ १२२ • चारित्र मोह का दर्शनमोहनीय में संक्रमण नहीं होता । • चारित्रमोह का चारित्रमोह में संक्रमण होता है। जैसे संज्वलन क्रोध का मान में। ३. प्रश्न उत्तरप्रकृति संक्रमण कितने प्रकार का है? यह परिभाषा सहित स्पष्ट करें। उत्तर : उत्तरप्रकृति संक्रमण पाँच प्रकार का है - १. उद्वेलनसंक्रमण, २. विध्यातसंक्रमण, ३. अधःप्रवृत्त संक्रमण, ४. गुणसंक्रमण, ५. सर्वसंक्रमण । दशकरण चर्चा ४. प्रश्न: उद्वेलन संक्रमण किसे कहते हैं? उत्तर : जहाँ उद्वेलना प्रकृति के परमाणु को उद्वेलना-भागहार का भाग देने पर एक भाग मात्र परमाणु अन्य प्रकृतिरूप परिणत होते हैं, वह उद्वेलन संक्रमण है। ५. प्रश्न : विध्यात संक्रमण किसे कहते हैं? उत्तर : जहाँ मन्द विशुद्धि वाले जीव के अबन्ध प्रकृतिसम्बन्ध परमाणुओं को विध्यात भागहार का भाग देने पर एक भाग परमाणु अन्य प्रकृतिरूप परिणत होते हैं, वह विध्यात संक्रमण है। ६. प्रश्न: अधः प्रवृत्त संक्रमण किसे कहते हैं? उत्तर : जहाँ जिसके बन्ध की संभावना हो, ऐसी प्रकृति के परमाणुओं को अधःप्रवृत्तभागहार का भाग देने पर एक भाग मात्र परमाणु अन्य प्रकृतिरूप परिणत होते हैं, वह अधः प्रवृत्त संक्रमण कहलाता है। ७. प्रश्न: गुण संक्रमण किसे कहते हैं? उत्तर : विवक्षित अशुभ प्रकृति के परमाणुओं को गुणसंक्रमण भागहार का भाग देने पर एक भाग मात्र परमाणु अन्य प्रकृतिरूप परिणत होते हैं तथा प्रथम समय में जितने परमाणु अन्य प्रकृतिरूप परिणत Khata Ananji Adhyatmik Duskaran Book (64) आगमगर्भित प्रश्नोत्तर (संक्रमणकरण) हुए उससे दूसरे समय में असंख्यातगुणे परमाणु अन्य प्रकृतिरूप परिणत होते हैं, तीसरे समय में दूसरे समय से असंख्यातगुणे परमाणु अन्य प्रकृतिरूप परिणत होते हैं। १२३ इसप्रकार क्रमशः असंख्यातगुणा- असंख्यातगुणा संक्रमण जहाँ प्रवृत्त हो वहाँ उस प्रकृति के प्रदेशों का गुणसंक्रम कहलाता है। ८. प्रश्न: सर्वसंक्रमण किसे कहते हैं? उत्तर : जिहाँ किसी प्रकृति के सकल परमाणु अन्य प्रकृति रूप परिणत हो जाय वहाँ सर्वसंक्रमण कहलाता है।

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