Book Title: Adhyatmik Daskaran
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 60
________________ ११४ दशकरण चर्चा २. प्रश्न :- स्थिति और अनुभाग का उत्कर्षण किस प्रकार होता है? उत्तर :- थोड़े समय में उदय आने योग्य नीचे के निषेकों के परमाणुओं को बहुत काल में उदय आने के योग्य ऊपर के निषेकों में मिलाना स्थिति उत्कर्षण होता है। तथा थोड़े अनुभाग वाले नीचे के स्पर्धकों के परमाणुओं को बहुत अनुभागवाले ऊपर के स्पर्धकों में मिलाने से अनुभाग उत्कर्षण होता है। ३. प्रश्न : अपकर्षणकरण का स्वरूप क्या है? १. कर्मप्रदेशों की स्थितियों के अपवर्तन का नाम अपकर्षण है।' २. अपकर्षण के द्वारा कर्मों की स्थिति और अनुभाग क्षीण हो जाते हैं। ३. परिणाम विशेष के कारण कर्म परमाणुओं की स्थिति का कम करना अपकर्षण है। (ज.ध. ७/२३७) ४. स्थिति-अनुभाग के घटने का नाम अपकर्षण जानना ।' ५. यह अपकर्षण करण तेरहवें गुणस्थान पर्यंत होता है। ६. अपकर्षण में यह नियम है कि बद्ध द्रव्य का एक आवली काल तक अपकर्षण नहीं होता। ७. अपवर्तन (अपकर्षण) के समय उस कर्म के नवीन बंध की जरूरत नहीं। ८. उदयावली के भीतर स्थित कर्म-परमाणुओं का अपकर्षण नहीं हो सकता। (ज.ध. ७/२३९) ९. उदयावली के बाहर जो कर्म परमाणु स्थित हैं, उनका अपकर्षण अवश्य हो सकता है। (यह भी जानना आवश्यक है कि उदयावली के बाहर स्थित कर्मपरमाणुओं में से अप्रशस्त उपशम, निधत्ति करण व निकाचनरूप अवस्थाओं वाले कर्मपरमाणु अपकर्षण को नहीं प्राप्त होते।) आगमगर्भित प्रश्नोत्तर (उत्कर्षण-अपकर्षण) अ.५ १०. हाँ, यह समझना भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है कि वे अप्रशस्त उपशम आदि भी अनिवृत्तिकरण परिणामों के समय उन्हीं विवक्षित उदयावली के बाहर की स्थितियों में रहते हुए भी अपकर्षण के योग्य हो जाते हैं। ४. प्रश्न : उदयावली के कर्मपरमाणु अपकर्षण को क्यों नहीं प्राप्त होते? उत्तर : उन कर्मपरमाणुओं का स्वभाव ही ऐसा है और स्वभाव के सम्बन्ध में तर्क या प्रश्न नहीं होता। ११. विवक्षित निषेक का अपकर्षण होने पर वह निषेक समाप्त नहीं हो जाता; किन्तु उस निषेक के कुछ परमाणु ही अपकर्षित करके नीचे की स्थितियों में दिये जाते हैं। १२. समय-समय में जितना द्रव्य नीचे निक्षिप्त किया जाता है, उसे फाली कहते हैं। १३. आदि स्पर्धक का अपकर्षण नहीं होता। १५. उदयावली के निषेकों का मात्र स्वमुख या परमुख से उदय ही संभव है। (करणदशक, पृष्ठ-६१) १६. जो स्थिति अपकर्षित की जाती है वह स्थिति बध्यमान स्थिति से समान या हीन होती है अथवा अधिक भी हो सकती है। १७. अपकर्षित द्रव्य का उदयावली में आना जरूरी नहीं है। ५. प्रश्न :- स्थिति और अनुभाग का अपकर्षण कैसे होता है? उत्तर :- बहुत काल में उदय आने के योग्य ऊपर के निषकों के परमाणुओं को शीघ्र उदय में आनेवाले नीचे के निषेकों में मिलाने से स्थिति अपकर्षण होता है। तथा बहुत अनुभाग वाले ऊपर के स्पर्धकों के परमाणुओं को थोड़े अनुभागवाले नीचे के स्पर्धकों में मिलाने से अनुभाग अपकर्षण होता है। Aanjalyamik Dware Ank१.करणदशक, पृष्ठ-६२ १. ज.ध. ७/२३७ १. लब्धिसार पीठिका पृ. ४४ (60)

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