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विवरण / प्रकार
अग्रदेवियां
| परिवार देव
चन्द्र (इन्द्र)
उत्कृष्ट आयु
वे प्रकाशमान
अतिशय शीतल और मन्द किरणों से संयुक्त होते
हैं।
चार- चन्द्राभा,
सुसीमा, प्रभंकरा और अर्चिमालिनी
प्रतीन्द्र (सूर्य) - १ सामानिक
संख्यात / तनुरक्षक सख्यात । आभियोग्यदेव
१६,०००
१ पल्य और १ लाख वर्ष
सूर्य (प्रतीन्द्र)
वे प्रकाशमान उष्णतर किरणों
से संयुक्त होते
हैं ।
चार
श्रुतिश्रुति,
प्रभंकरा,
सूर्यप्रभा और अर्चिमालिनी
सामानिक
तनुरक्षक,
तीनों
पारिषद,
प्रकीर्मक,
अनीक, आभियोग्य-
१६,००० किल्विषिक
प्रमाण अनुपलब्ध,
१ पल्य और १००० वर्ष
ग्रह
१. २७
और शनि ग्रह
के अन्तराल में
शेष ८३ ग्रह अवस्थित हैं।
शुक्र, गुरु, बुध, शनि, मंगल
प्रत्येक के
शुक्र- १ पल्य और १०० वर्ष
गुरु- १ पल्य
बुध, मंगल शनिचरादि अन्य ग्रह
- १/२ पल्य
जघन्य आयु
१/८ पल्य
१/८ पल्य
१/८ पल्य
देवियों की अपने-अपने देवों की आयु से अर्ध भाग प्रमाण होती है।
आयु
८०००
आभियोग्य
नक्षत्र
प्रत्येक के
४०००
आभियोग्य
अनुपलब्ध
१/८ पल्य
तारा
प्रत्येक के
२०००
आभियोग्य
१/४ पल्य
१ / ६ पल्य