Book Title: Acharanga Stram Part 04
Author(s): Shilankacharya
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 161
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kabatirth.org युवा स्त्री उपसर्ग करवा आवेली छे, ते विष भक्षणथी के, फांसो खाइने मरवान बताच्या छतां पण न मुके; तेथी, ते तपस्वीए घणो 5 काळ जुदा जुदा उपायो वडे करेली तपस्याना धनवाळा साधुने मरवू तेज श्रेय छे, जेमके कोइ साधुने तेना सगाए स्त्रीवाळा ओर सूत्रम डामा प्रवेश कराव्यो, अने प्रेमवाळी पत्नीए घणीवोर मार्थना कर्या छतां साधुए धैर्य राख्यु. पण अंते नीकळवानो बीजो उपाय ॥७६६॥ न जोवाथी फांसो खाधो, तेम फांसो खावा माटे उंचे लटक, अथवा विष भक्षण करवू, अथवा उंचेथी पडवू, तेज प्रमाणे घणो ७६६॥ 18 काळ ठन्ड विगेरे सहन न थवाथी सुदर्शन माफक प्राण त्यागवा. शंका-फांसो खावो विगेरे बाळ मरण छे, अने ते अनर्थ माटे 181 छे, त्यारे तेनो केवी रीते तमे उपदेश कर्यो ? कारण के सिद्धांतमां का छे केः " इच्चेएणं बालमरणेणं मरमाणे जीवे अणंतेहिं नेरइयभवग्गहणेहिं अप्पाणं संजोएइ जाव अणाइयं चणं अणवयग्गं चाउरतं संसारकंतारं भुजो भुज्जो परियट्टइत्ति" उ.-आ दोष अमारा अर्हत (जिनेश्वर) ना मतमा नथी, कारण के कंइपण एकांतथी निषेध कर्यो छे, के स्वीकार्य छे, तेवु नधी फक्त एक मैथुनमा जुदुं छे; अने सिवाय दरेकमां द्रव्य क्षेत्र काळ भावने आश्रयीने जे प्रथम निषेध को हतो, तेन स्वीकाराय । छे, उत्सर्ग मार्ग पण कोइ वखत अगुण (नुकशान ) माटे छे अने अपवाद पण गुणने माटे काळ [ समय ] जाणनारा साधुने थाय छे, तेज बतावे छे. दीर्घ काळ संयम पाळीने संलेखना विधि ए काळना पर्यायवडे भक्तपरिज्ञा विगेरेनुं मरण गुणने माटे है छे, अने स्त्री विगेरेना उपसर्गमा वेहानस गाईपृष्ठ विगेरेथी मरण थाय तेमां काळ पर्यायज छे. अर्थात् जेवी रीते भक्त परिक्षा विगेरेनु मरण गुणवाळु छे, तेम आ काळ पर्यायना मरण जेवु वेहानस विगेरे मरण लाभदायी छे. घणा काळ पर्यायमां जेटलं SSSSSSSS For Private and Personal Use Only

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