Book Title: Acharanga Stram Part 04
Author(s): Shilankacharya
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 176
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आचा० सुधीनुएवो अर्थ न लेवो) कारण के जिन कल्पी विगेरे सुनिने बीजा काळमां पण साकार पत्याख्याननो संभव नथी, तो पत्या- मासत्रम ख्यान जेवा अंतिम वखते साकारनो संभव क्याथी होय? कारण के इतर ते अमुक काळन पञ्चक्खाण रोगी श्रषक करे, के जो आ ॥७८१ रोगथी पांच दीवसमां मुकाइश, तो पछी भोजन करीश, ते शिवाय नहीं करुं विगेरे इत्वर पच्चक्खाण छे, पण इङ्गित मरण तामा७८१॥ धैर्य संहनन विगेरेना बळवाळो पोतानी मेळेज पासु फेरववानी विगेरे क्रिया करनारो आखी जींदगी मुधी चारे आहारनो त्याग - करे छे. कयु छे के:-- पच्चक्खइ आहारं, चउन्विहं णियमओ गुरुसमीवे; इङ्गियदेसंमि तहा, चिटुंपि हु नियमो कुणइ ॥१॥ उवत्तइ परिअत्तइ, काइगमाईऽवि अप्पणा कुणइ सव्वमिह अप्पणचित्रण, अन्नजोगेण घितिवलिओ ॥२॥ चारे प्रकारना आहारनु गुरु पासे नियमथी प्रत्याख्यान करे,अने इङ्गित(मुकरर करेलां)भागमा चेष्टा पण नियमथी करे छे,[१] । I पासुं बदले, बाजुए जाय अथवा ठल्लो मातरं करे, ते पण जाते करे, ते धैर्य तथा बळवाळो पोताना सिवाय बोजा पासे न करावे. प्र.--इङ्गित मरण के छ ? अने कोण करे ? ते कहे छे. संत पुरुषोनुं हित करे तेथी ते इंगित मरण सत्य छे. अने सुगति मार्गे लइ जवामां ते अविसंवादपणे होवाथी तथा सर्वज्ञना उपदेशथी ते इंगित मरण सत्य तथ्य छे. तथा पोते पण सत्य बोलनार से होवाथी सत्यवादी छे, कारण के आखी जोंदगी सुधी यथोक्त अनुष्ठान करवानी प्रतिज्ञा लीधेली ते भार उपाडवा समर्थ होवाथी अने तेमज पाळवाथी सत्यवादी छे, तथा ' ओज' पोते रागद्वेष रहित छे. तथा संसार सागरने तर्यो छे, अने भूतकाळ माफक I भविष्यमां पण तरवा माटे तेवो उपचार करवाथी अवतीर्ण छे, तथा जेणे राग विगेरेनी विकथा कोइ पण रीते न करवानुं नक्की For Private and Personal Use Only

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