Book Title: Acharang Sutram Part 02
Author(s): Sudharmaswami, Jinhansasuri
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust
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॥२/३/१/॥
प्रथममहाव्रतभावनाः पञ्च, तत्र प्रथमां तावदाह॥ श्रीआचाराङ्ग तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंतिप्रदीपिका॥
(१) तत्थिमा पढमा भावणा-रियासमिते से णिग्गंथे, णो अणारियासमिते त्ति । केवली बूया-इरियाअसमिते से णिग्गंथे पाणाई भूयाई जीवाई सत्ताई अभिहणेज्ज वा वत्तेज्ज वा परियावेज्ज वा लेसेज्ज वा उद्दवेज्ज वा । इरियासमिते से णिग्गंथे, णो इरियाअसमिते त्ति पढमा भावणा।
(२) अहावरा दोच्चा भावणा-मणं परिजाणति से णिग्गंथे, जे य मणे पावए सावज्जे सकिरिए अण्हयकरे छेदकरे भेदकरे अधिकरणिए पादोसिए पारिताविए पाणातिवाइए भूतोवघातिए तहप्पगारं मणं णो पधारेज्जा । मणं परिजाणति से - णिगंथे, जे य मणे अपावए त्ति दोच्चा भावणा। 8.8 (३) अहावरा तच्चा भावणा-वई परिजाणति से णिग्गंथे, जा य वई पाविया सावज्जा सकिरिया जाव भूतोवघातिया 88 तहप्पगारं वई णो उच्चारेज्जा । जे वई परिजाणति से णिग्गंथे जा य वति अपाविय त्ति तच्चा भावणा।
(४) अहावरा चउत्था भावणा-आयाणभंडमत्तणिक्खेवणासमिते से णिग्गंथे, णो अणादाणभंडमत्तणिक्खेवणासमिते । केवली ब्रूया-आदाणभंडनिक्खेवणाअसमिते से णिग्गंथे पाणाई भूताई जीवाई सत्ताई अभिहणेज्ज वा जाव उद्दवेज्ज वा। तम्हा आयाणभंडणिक्खेवणासंमिते से णिग्गंथे, णो अणादाणभंडणिक्खेवणासमिते त्ति चउत्था भावणा।
॥ २४०॥

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