Book Title: Acharang Shilank Vrutti Ek Adhyayan
Author(s): Rajshree Sadhvi
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 150
________________ ९७. वही, पृ. १२१ आचारांग वृत्ति, पृ. १२१ “मिथ्यात्वाविरतिप्रमादकषाययोग" "ये एवं कर्मणामास्रवा" ९९. वही, पृ. १२१, १२२ १००. आचारांग वृत्ति, पृ. १२७ १०१. वही, पृ. १२७ “कसोहि अप्पाणं जरेहि अप्पाणं" १०२. वही, पृ. १२८ १०३. वही, पृ. १२८ “तह खलु खवंतिकम्मं सम्मच्चरणे ठिया साहू ।" . १०४. तत्वार्थ सूत्र “इच्छानिरोधस्तपः" १०५. आचारांग वृत्ति, पृ. १२८ १०६. आचारांग सूत्र ४/४/१ १०७. सूत्रकृतांग सूत्र १०८. प्रश्न व्याकरण सूत्र-आचारांग मुनि सौभाग्यमल, पृ. ३२९ १०९. आचारांग वृत्ति, पृ. १३१ ११०. आचारांग वृत्ति, पृ. १३१ १११. आचारांग वृत्ति, पृ. १३१ ११२. आचारांग सूत्र ५/१/४ ११३. आचारांग वृत्ति, पृ. १४० ११४. आचारांग वृत्ति, पृ. १४० ११५. आचारांग वृत्ति, पृ. १३२ ११६. आचारांग वृत्ति, पृ. १३३ ११७. आचारांग पृ. ११८. आचारांग वृत्ति, पृ.१३३. “संशयोऽनर्थसंशयश्च" . ११९. आचारांग वृत्ति, पृ. १३३, १३४ १२०. आचारांग वृत्ति, पृ. १३६ १२१. (क) वही, पृ. १३६ (ख) आचारांग सूत्र, पृ. ६, ३६७ १२२. आचारांग वृत्ति, पृ. १३६ १२३. वही, पृ. १३६ १२४. आचारांग वृत्ति, पृ. १३९ १२५. आचारांग सूत्र ५/३/१ १२६. वही, ५/३/१ १२७. आचारांग वृत्ति, पृ. १३९ १२८. आचारांग वृत्ति, पृ. १३९ “समता” समशत्रुमित्रता १२९. वही, पृ. १३९ “जहा पुण्णस्सकत्थइतहा तुच्छस्सकत्थई" ११२ आचाराङ्ग-शीलावृत्ति : एक अध्ययन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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