Book Title: Acharang Shilank Vrutti Ek Adhyayan
Author(s): Rajshree Sadhvi
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 192
________________ ९४. आचारांग वृत्ति, पृ. १२३ ९५. तत्वार्थ सूत्र १/११-१२ ९६. जैन न्याय, पृ. ११० ९७. आचारांग वृत्ति, पृ. ४४ ९८. वही, पृ. २४ ९९. वही, पृ. १३ १००. सूयगड़ो १२/१९ “जे आततो परतो वा वि सच्चा।" १०१. आचारांग वृत्ति, पृ. ३० १०२. आचारांग वृत्ति, पृ. २ १०३. (क) मालवणिया-दलसुख-आगम युग का जैन दर्शन, पृ.. २२६ (ख) अनुयोग द्वार सूत्र ५९ १०४. आचारांग वृत्ति, पृ. २ १०५. वही, पृ. २ १०६. आचारांग वृत्ति, पृ. २ १०७.' दिवाकर सिद्धसेन - सम्भहसुत्तं गाथा ३-४ १०८. आचार्य कुन्दकुन्द समयसार गाथा ३१-६६ १०९. आचारांग वृत्ति, पृ. १४९ ११०. आचारांग वृत्ति, पृ. ५३ १११. आचारांग वृत्ति, पृ. २ ११२. वही, पृ. २ ११३. (क) तत्वार्थ सूत्र १/५, (ख) आचारांग वृत्ति, पृ. ३ ११४. वही, पृ. २ ११५. वही, पृ. ९ ११६. वही, पृ. ९ ११७. आचारांग वृत्ति, पृ. ५५ ११८. वही, पृ. ५६ ११९. जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश भाग ३, पृ. १९६ १२०. वही पृ. १९६-१९७ १२१. आचारांग वृत्ति, पृ. ११ १२२. आचारांग सूत्र १ से ६ १२३. आचारांग सूत्र ५/३ १२४. आचारांग वृत्ति, पृ. ३७५ १२५. आचारांग सूत्र, पृ. ३७५-३७६ १२६. (क) आचारांग सूत्र ५/५, (ख) आचारांग वृत्ति, पृ. १४७ १५४ आचाराङ्ग-शीलावृत्ति : एक अध्ययन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244