Book Title: Aarahana Panagam
Author(s): Hemsagarsuri, Hemlatashreeji, Ikshitagnashreeji
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabh
View full book text
________________
३८
आराहणापणगं (४)
(सु. १३१उ सयंभुदेवमुणिणो संलेहणापडिवत्ती) एवं च सयंभुदेवमहरिसी वि जाणिऊण नियआउयपरिमाणं कयदव्वभावसंलेहणाकम्मो कयकायव्ववावारो य निसण्णो संथारए, भणिउं च समाढत्तो ||१३१|| अवि य (गा. १३२ - २३६. सयंभुदेवमुणिकया आराहणा ) नमिऊण सव्वसिद्धे, नियर पसंततसव्वभए । वोच्छं मरणविभत्तिं पंडिय - बालं समासेणं
-
।।१३२||
नाऊण बालमरणं पंडियमरणेण नवरि मरियव्वं । बालं संसारफलं, पंडियमरणं च नेव्वाणं
||१३३||
को बालो ? किं मरणं ? बालो नामेण राग-दोसत्तो । दोहिं चिय आगलिओ जं बध्दो तेण बालो त्ति ॥१३४॥
||१३५||
मरणं पाणच्चाओ, पाणा उस्सासमाइया भणिया । ताणं चाओ मरणं, सुण एहिं तं कहिज्जंतं कललावत्थासु मओ अब्बुयभावे वि कत्थइ विलीणो । गलिओ पेसीसमए गब्भे बहुयाण णारीणं
॥१३६||
पिंडीमेत्तो कत्थइ गलिओ खारेण गब्भवासाओ । अट्ठियबंधे वि मओ, अणद्विबंधे वि गलिओ हं ॥१३७||

Page Navigation
1 ... 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146