Book Title: Aarahana Panagam
Author(s): Hemsagarsuri, Hemlatashreeji, Ikshitagnashreeji
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabh

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Page 114
________________ . आराहणापणर्ग (५) सुमणे समणे सुयणे सुमणे, समणे य पावपंकस्स | सवए समए सुहए सहए समणे अहं वंदे ||३००|| साहूण नमोक्कारो जइ लभइ मरणदेसकालम्मि | चिंतामणि ब्व लद्धे किं मग्गसि कायमणियाइं ? ||३०१|| साहूण नमोक्कारो कीरंतो अवहरेज्ज जं पावं । पावाण कत्थ हियए णिवसइ एसो अउण्णाणं ? ||३०२|| साहूण नमोक्कारो कीरंतो भावमेत्तसंसुद्धो । सयलसुहाणं मूलं मोक्खस्स य कारणं होइ ||३०३|| तम्हा करेमि सव्वायरेण साहूण तं नमोक्कारं । तरिऊण भवसमुदं मोक्खद्दीवं च पावेमि ॥३०४|| एए जयम्मि सारा पुरिसा पंचेव ताण नवकारो। एयाण उवरि अन्नो को वा अरिहो पणामस्स ? ||३०५|| सेयाण परं सेयं, मंगल्लाणं च परममंगल्लं । पुन्नाण परं पुन्नं, फलं फलाणं च जाणेज्जा ॥३०६||

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