Book Title: Aarahana Panagam
Author(s): Hemsagarsuri, Hemlatashreeji, Ikshitagnashreeji
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabh

View full book text
Previous | Next

Page 118
________________ co आराहणापण (५) णूणं अलद्धउव्वो संसारमहोयहिं भमंतेणं । जिणसाहुनमोक्कारो तेणज्ज वि जम्म-मरणाइं ||३१४|| जइ पुण पुदि लद्धो ता कीस न होइ मज्झ कम्मखओ ? | दावाणलम्मि जलिए तणरासी केच्चिरं ठाइ ? ||३१५|| अहवा भावेण विणा दवेणं पाविओ मए आसि । जाव न गहिओ चिंतामणि त्ति ता किं फलं देइ ? ||३१६|| ता संपइ पत्तो मे आराहेयवओ पयत्तेणं । जइ जम्मण-मरणाणं दुक्खाणं अंतमिच्छामि ।। ३१७|| एयं भणमाणो महारहसाहू अउव्वकरणेणं खवगसेणिं समारूढो । कहं ? - (गा. ३१८-२९. महारहमुणिणो खवगसेढि समारोहपुव्वं मोक्खगमणं) झोसेइ महासत्तो सुक्कज्झाणानलेण कम्मतरुं । पढमं अणंतनामे चत्तारि वि चुण्णिए तेण ॥३१८|| अन्नसमएण पच्छा मिच्छत्तं सो खवेइ सव्वं पि। मीसं च पुणो सम्मं खवेइ जं पुग्गलं आसि · |३१९||

Loading...

Page Navigation
1 ... 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146