Book Title: Aarahana Panagam
Author(s): Hemsagarsuri, Hemlatashreeji, Ikshitagnashreeji
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabh
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आराहणापणगं (५)
एयं नियट्टिठाणं खाइयसम्मत्तलाभदुल्ललियं । लंघेऊणं अट्ठ वि कसायरिवुडामरे हणइ
झोसेइ णपुंसत्तं इत्थीवेयं च अन्नसमएणं । हासाइछक्कमन्नं समएणं णिद्दहे वीरो.
कोहाई संजल एक्केकं सो खवेइ लोभंतं । पच्छा करेइ खंडे असंखमेत्ते उ लोभस्स
नियजीववीरिएणं खग्गेण व कयलिखंभसमसारं ।
पच्छा णिययं वेयं खवेइ लेसाहिं सुज्झतो
एक्क्कं खवयंतो पावइ जा अंतिमं तयं खंडं । भेत्तूण करेइ तओ अनंतखंडेहिं किट्टीओ
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तं वेतो भन्नइ महामुणी सुहुमसंपराओ त्ति । अहखायं पुण पावइ चारित्तं तं पि लंघेउं
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पंचक्खरउग्गिरणं कालं जा वीसमित्तु सो धीरो । दोहिं समएहिं पावइ केवलणाणं महासत्तो
।।३२२||
।।३२३||
।।३२४।।
||३२५||
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