Book Title: Aarahana Panagam
Author(s): Hemsagarsuri, Hemlatashreeji, Ikshitagnashreeji
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabh

View full book text
Previous | Next

Page 120
________________ ૯૨ आराहणापणगं (५) एयं नियट्टिठाणं खाइयसम्मत्तलाभदुल्ललियं । लंघेऊणं अट्ठ वि कसायरिवुडामरे हणइ झोसेइ णपुंसत्तं इत्थीवेयं च अन्नसमएणं । हासाइछक्कमन्नं समएणं णिद्दहे वीरो. कोहाई संजल एक्केकं सो खवेइ लोभंतं । पच्छा करेइ खंडे असंखमेत्ते उ लोभस्स नियजीववीरिएणं खग्गेण व कयलिखंभसमसारं । पच्छा णिययं वेयं खवेइ लेसाहिं सुज्झतो एक्क्कं खवयंतो पावइ जा अंतिमं तयं खंडं । भेत्तूण करेइ तओ अनंतखंडेहिं किट्टीओ ||३२०|| तं वेतो भन्नइ महामुणी सुहुमसंपराओ त्ति । अहखायं पुण पावइ चारित्तं तं पि लंघेउं 1132911 पंचक्खरउग्गिरणं कालं जा वीसमित्तु सो धीरो । दोहिं समएहिं पावइ केवलणाणं महासत्तो ।।३२२|| ।।३२३|| ।।३२४।। ||३२५|| ||३२६||

Loading...

Page Navigation
1 ... 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146