Book Title: Aarahana Panagam
Author(s): Hemsagarsuri, Hemlatashreeji, Ikshitagnashreeji
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabh

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Page 122
________________ - आराहणापणगं (५) पयलं निदं पढम पंचविहं दंसणं चउवियप्पं | पंचविहमंतरायं खवइत्ता केवली होइ ||३२७॥ आउयकम्मं च पुणो खवेइ गोत्तेण सह य नामेण | सेसं पि वेयणीयं जोगनिरोहेण सो मुक्को ॥३२८|| अह पुवपओएणं बंधणखुडियत्तणेण उड्ढगई। लाउय एरंडफले अग्गी धूमे य दिटुंता ॥३२९|| (गा. ३३०-३२ सिद्धिगयाणं पंचण्हं अंतगडमुणीणं सरूवं) ईसीपभाराए पुहईए उवरि होइ लोयंतो । गंतूण तत्थ पंच वि तणुरहिया सासया जाया ||३३०|| नाणमणंतं ताणं दंसण-चारित्त-वीरियसणाहं । सुहमा निरंजणा ते अक्खयसोक्खा परमसिद्धा ||३३१।। अच्छेज्जा अब्भेज्जा अव्वत्ता अक्खरा निरालंबा । परमप्पाणो सिद्धा अणायसिद्धा य ते सव्वे ॥३३२||

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