Book Title: Aagam 28 TANDUL VAICHAARIK Moolam evam Chaayaa
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 5
________________ आगम (२८) प्रत सूत्रांक [-] || 8 || दीप अनुक्रम [3] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित .. चारिके ॥ ३१ ॥ “तन्दुलवैचारिक” - प्रकीर्णकसूत्र -५ (मूलं + संस्कृतछाया) - Jan Eaton mac मूलं [ - ], गाथा [१] ...आगमसूत्र - [२८], प्रकीर्णकसूत्र - [०५] "तन्दुलवैचारिक" मूलं एवं संस्कृतछाया ॥ अथ तदुपपलिय॥ ॥ निरिपजरामरणं वंदिता जिणवरं महावीरं वोच्छं पन्नगमिणं तंदुल वेयालियं नाम ॥ १ ॥ ४४८ ॥ सुणह गणिए दस दसा वासस्याउस्स जह विभजंति । संकलिए वाससए (बोगसिए) जं चाऊ सेम होइ ॥ २ ॥ ॥ ४४९ ॥ जत्तियमित्ते दिवसे जन्तिय राई मुहुत्त उसासे । गव्र्भमि वसह जीवो आहारविहिं च वोच्छामि ॥ ३ ॥ (द्वारगाथा ) ४५० ॥ दोन्नि अहोरत्तसए संपुण्णे सप्तसप्तारं चैव । गर्भमि वसइ जीवो अद्धमहोरत्तमनं च ॥४॥ ॥ ४५१ ॥ एए उ अहोरत्ता नियमा जीवस्स गन्भवामि । हीणाहिया उ इत्तो उवघाघवसेण जायंति ॥ ५ ॥ ।। ४५२ ।। अट्ठ सहस्सा तिनि उ सया मुहुत्ताण पण्णवीसा य । गभगओ वसई जीवो नियमा हीणाहिया इतो ।। ६ ।। ४५३ ।। तिन्नेव य कोडीओ चउदस् य हवंति सयसहस्साई । दस वेव सहस्सा दोनि सया भगवंत वंदना, दश दशायाः प्रतिज्ञा अथ तन्दुलवैचारिक प्रकीर्णकम् ॥ ५ ॥ निर्जीणंजरामरणं बन्दित्वा जिनवरं महावीरं । वक्ष्ये प्रकीर्णकमिदं तदुवैचारिक नाम ॥ १ ॥ शृणुत गणिते वर्षशतायुष्कस्य यथा दश दशा विभज्यन्ते । सङ्कलिते वर्षशते ( व्यवकलिते) यच्चायुः शेर्पा भवति ।। २ ।। यावन्मात्रान् दिवसान् यावती रात्रीमुंहून उद्भासान् । गर्भे वसति जीवः (तान् ) आहारविधिं च वक्ष्ये ॥ ३ ॥ द्वे अहोरात्रश संपूर्ण सप्तसप्तति चैव गर्भे वसति जीवोऽर्द्धमहोरात्रमन्यथ ॥ ४ ॥ एतान्यहोरात्राणि नियमात् जीवस्य गर्भवासे । हीनाधिकानीत उपघात शेन जायन्ते ॥ ५ ॥ अष्ट सहस्राणि त्रीणि तु शतानि मुहूर्तानां पञ्चविशति च। गर्भगतो वसति जीवो नियमात् हीनाधिका Farate the Ony 12. फन्यतासूचा ~4~ ॥ ३१ ॥

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