Book Title: Aagam 10 PRASHNA VYAKARANAM Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 265
________________ आगम (१०) “प्रश्नव्याकरणदशा” - अंगसूत्र-१० (मूलं+वृत्ति:) श्रुतस्कन्ध: [२], ------------------- अध्ययनं [४] -------------------- मूलं [२७] + गाथा: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१०], अंग सूत्र - [१०] "प्रश्नव्याकरणदशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [२७] + गाथा: य पश्चओ य, तम्हा निहुपण बंभचेर चरियव्वं सव्यओ विमुद्धं जावजीवाए जाव सेयविसंजउत्ति, एवं भणियं वयं भगवया, तं च इम-पंचमहब्वयसुब्वयमूलं, समणमणाइलसाहुसुचिन्नं । वेरविरामणपज्जयसाणं, सव्वसमहमहोदधितिरथं ॥१॥ तित्थकरेहि सुदेसियमग्गं, नरयतिरिच्छविवजियमगं । सयपवित्तिमनिम्मियसारं, सिद्धिविमाणअवंगुयदारं ॥२॥ देवनरिंदनमंसियपूर्य, सव्यजगुत्तममंगलमगं । दुद्धरिस गुणनायकमेक, मोक्खपहस्स बडिंसकभूयं ॥३॥ जेण सुद्धचरिएण भवइ सुबभणो सुसमणो सुसाहू सइसी समुणी ससंजए स एव भिक्खू जो सुद्धं चरति बंभचेरं, इमं च रतिरागदोसमोहपवणकरं किंमज्झपमायदोसपासस्थसीलकरणं अभंगणाणि य तेल्लमजणाणि य अभिक्खणं फक्खसीसकरचरणवदणधोवणसंवाहणगायकम्मपरिमद्दणाणुलेवणचुन्नवासधूवणसरीरपरिमंडणबाउसिकहसियभणियनहगीयवाइयनडनट्टकजालमतपेच्छणवेलंबक जाणि य सिंगारागाराणि य अन्नाणि य एवमादियाणि तवसंजमबंभचेरघातोषघातियाई अणुचरमाणेणं बंभचेर बजेयव्वाई सब्वकालं, भावेययो भवइ य अंतरप्पा इमेहिं तवनियमसीलजोगेहि निच्चकालं, किं ते?-अण्हाणकअदंतधावणसेयमलजल्लधारणं मूणवयकेसलोए य खमदमअचेलगखुप्पिवासलाघवसीतोसिणकट्ठसेजाभूमिनिसेज्जापरघरपवेसलद्धावलद्धमाणावमाणनिंदणदंसमसगफासनियमतवगुणविणयमादिएहिं जहा से घिरतरक होइ बंभचेर इमं च अवंभचेरविरमणपरिरक्खणद्वयाए पावयणं भगवया सुकहियं पेच्चाभाविकं आगमेसिभई सुद्धं नेयाउयं अकुडिलं अणुत्तरं सब्वदु दीप अनुक्रम [३९-४३] ACCSC Salaram.org ~264~

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