Book Title: Aagam 10 PRASHNA VYAKARANAM Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 304
________________ आगम (१०) प्रश्नव्याकरणदशा” - अंगसूत्र-१० (मूलं+वृत्ति:) श्रुतस्कन्ध: [२], ---------------------- अध्ययनं [५] ---------------------- मूलं [२९] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१०], अंग सूत्र - [१०] "प्रश्नव्याकरणदशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: HOS प्रत सूत्रांक [२९]] प्रश्नव्याक-४ २०श्रीअभयदेव. वृत्तिः धर्मद्वारे | परिग्रहविभारतौ संव| रपादपः भिक्षाअसन्निधिर्भावनाश्च सू०२९ ॥१५०॥ वाहिरोगपीलियं विगयाणि य मयककलेवराणि सकिमिणकुहियं च दब्बरासिं अन्नेसु य एवमादिपसु अमणुनपावतेसु न तेसु समणेण रूसियव्वं जाव न दुगुंछावत्तियावि लम्भा उप्पातेउं, एवं चक्खिदियभावणाभावितो भवति अंतरपा जाव चरेज धम्म २। ततियं धाणिदिएण अग्याइय गंधातिं मणुन्नभद्दगाई, किं ते ?, जलयथलयसरसपुष्फफलपाणभोयणकुटुतगरपत्तचोददमणकमस्यएलारसपिकमंसिगोसीससरसचंदणकप्पूरलवंगअगरकुंकुमककोलउसीरसेयचंदणसुगन्धसारंगजुत्तिवरधूववासे उउयपिंडिमणिहारिमगंधिएसु अन्नेसु य एवमादिसु गंधेसु मणुन्नभदएसु न तेसु समणेण सजियब्वं जाव न सतिं च मई च तत्थ कुज्जा, पुणरवि पाणिदिएण अग्घातिय गंधाणि अमणुनपावकाई, किं ते?, अहिमडअस्समडहस्थिमडगोमुडविगसुणगसियालमणुयमज्जारसीहदीवियमयकुहियविणहकिविणबहुदुरभिगंधेसु अन्नेसु य एवमादिसु गंधेसु अमणुन्नपावरसु न तेसु समणेण रूसियब्वं जाव पणिहियपंचिंदिए चरेज धम्म ३ । चउत्थं जिभिदिएण साइय रसाणि उ मणुन्नभद्दकाई, किं ते?, उग्गाहिमविविहपाणभोयणगुलकयखंडकयतेलधयकयभक्खेसु बहुविहेसु लवणरससजुत्तेसु महुमंसबहुप्पगारम जियनिट्ठाणगदालियंबसेहंबदुखदहिसरयमज्जवरवारुणीसीहुकाविसायणसायट्ठारसबहुप्पगारेसु भोयणेसु य मणुन्नवन्नगंधरसफासबहुदयसंभितेसु अन्नेसु य एवमादिएसु रसेसु मणुनभद्दएसु न तेमु समणेण सज्जियवं जाव न सई च मतिं च तस्थ कुज्जा, पुणरवि जिभिदिएण सायिय रसातिं अमणुनपावगाई, किं ते?, अरसविरससीयलुक्खणिजप्पपाणभोयणाई दीप अनुक्रम - [४५] - ।।१५०11 ~303~

Loading...

Page Navigation
1 ... 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335