Book Title: Aagam 10 PRASHNA VYAKARANAM Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
View full book text
________________
आगम
(१०)
प्रश्नव्याकरणदशा” - अंगसूत्र-१० (मूलं+वृत्ति:) श्रुतस्कन्ध: [२], ----------------------- अध्ययनं [9] ---------------------- मूलं [२९] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१०], अंग सूत्र - [१०] "प्रश्नव्याकरणदशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
प्रत
सूत्रांक
[२९]
दीप अनुक्रम [४५]
तवयणतासणउकूजियरुन्नरडियकंदियनिग्घुटरसियकलुणविलवियाई अन्नेसु य एवमादिएसु सद्देसु अमगुण्णपावएसन तेस समणेण रूसियव्वं न हीलियब्वं न निंदियध्वं न खिंसियव्यं न छिदियचं न भिंदियचं न वहेयव्वं न दुगुंछावत्तियाए लब्भा उप्पाए, एवं सोतिंदियभावणाभावितो भवति अंतरप्पा मणुन्नाऽमगुन्नसुम्भिदुभिरागदोसप्पणिहियप्पा साहू मणवयणकायगुत्ते संवुडे पणिहितिदिए परेजज धर्म १ । बितिथं चविखदिएण पासिय रुवाणि मणुनाई भदकाई सचित्ताचित्तमीसकाई कढे पोत्थे य चित्तकम्मे लेप्पकम्मे सेले य दंतकम्मे य पंचहिं वण्णेहिं अणेगसंठाणसंधियाई गंठिमवेढिमपूरिमसंघातिमाणि य मलाई बहुचिहाणि य अहियं नयणमणसुहकराई वणसंडे पञ्चते य गामागरनगराणि य खुद्दियपुक्खरिणियावीदी. हियगुंजालियसरसरपंतियसागरविलपंतियखादियनदीसरतलागवप्पिणीफुल्लुप्पलपउमपरिमंडियाभिरामे अणेगसउणगणमिहुणविचरिए परमंडपविविहभवणतोरणचेतियदेवकुलसभपवावसहसुकयसयणासणसीयरहसयडजाणजुग्गसंदणमरनारिगणे य सोमपडिस्वदरिसणिजे अलंकितविभूसिते पुण्यकयतवापभावसोहग्गसंपउत्ते नडनदृगजालमहमुट्ठियवेलंवगकहगपवगलासगआइक्खगलंखमखतूणइलतुंबवीणियतालायरपकरणाणि य बहुणि सुकरणाणि अन्नेसु य एवमादिएसु रूबेसु मणुनभएसु न तेसु समणेण सजियव्यं न रजियवं जाव न सई च मई च तत्थ कुज्जा, पुणरवि चक्खिदिएण पासिय रुवाई अमणुनपावकाई, किं ते?, गंडिकोढिककुणिउदरिकच्छुल्लपइलकुजपंगुलवामणअंधिलगएगचक्खुविणिहयसप्पिसल्लग
~302~

Page Navigation
1 ... 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335