Book Title: Aagam 10 PRASHNA VYAKARANAM Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 302
________________ आगम (१०) प्रत सूत्रांक [२९] दीप अनुक्रम [४५] प्रश्नव्याकरणदशा” - अंगसूत्र - १० ( मूलं + वृत्ति:) श्रुतस्कन्ध: [२], अध्ययनं [५] मूलं [२९] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र [१०] अंग सूत्र [१०] " प्रश्नव्याकरणदशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्तिः प्रश्नव्याक र० श्रीअ भयदेव० वृत्तिः ॥ १४९ ॥ 196956096 Ja Eucation Internation गाने गाने एकरार्य नगरे नगरे य पंचरायं दूइजंते य जितिंदिए जितपरीसहे निम्भओ विऊ सच्चित्ता चित्तमी केहिं दव्वेहिं विरायं गते संचयातो विरए मुत्ते लहुके निरवकं जीवियमरणासविष्यमुक्के निस्संधि निव्वर्ण चरितं धीरे कारण फासयंते सततं अज्झप्पज्झाणजुते निहुए एगे चरेज धम्मं । इमं च परिगहवेरमणपरिरक्खणट्ट्याए पावयणं भगवया सुकहियं अत्तहियं पेच्चाभाविकं आगमेसिभद्दं सुद्धं नेयाज्यं अकुडिलं अणुत्तरं सव्वदुक्खपावाण विओसमणं तस्स इमा पंच भावणाओं चरिमस्स वयस्स होंति परिग्गहवेरमण रक्खण्ड्याए- पढमं सोईदिएण सोचा सदाई मणुन्नभद्दगाई, किं ते ?, वरमुरयमुइंगपणवदद्दुरकच्छभिवीणाविपंचीवलयिवद्धीसकसुघोसनंदि सूसरपरिवादिणिवं सतूणकपव्व कर्ततीतलतालसुडिय निग्घोस गीयवाइयाई नडन कजलमलमुट्ठिकवे लंबक कहक पव कलासग आइक्खक लेख मंखतूणइलववीणियतालायrपकरणाणि य बहूणि महुरसरगीतसुस्सरातिं कंचीमेहला कलाव पत्तरक पहेर कपाय जालगघंटियखिखिणिरयणोरुजा लियछुद्दियने उरचलणमालिय कणगनियलजालभूसणसद्दाणि लीलचंकम्ममाणादीरियाई तरुणीजणहसिय भणियकलरिभितमंजुलाई गुणवयणाणि व बहूणि महुरजणभासियाई अन्नेतु य एवमादिए सद्देसु मणुन्नभद्दपसु ण तेसु समणेण सज्जियध्वं न रजियव्वं न गिज्झियन्त्रं न मुज्झियब्वं न विनिग्धायं आवज्जियन्त्रं न लुभियव्वं न तुसियन्वं न हसियध्यं न सई च मई च तत्थ कुज्जा, पुणरवि सोइदिएण सोचा सहाई अमणुन्नपावकाई, किं ते?, अक्कोसफरसखिंसणअव माणणतज्जण निर्भछणदि For Penal Lise On ~301~ ४ ५ धर्मद्वारे परिग्रहविरतौ संव४रपादपः भिक्षाअ* सन्निधिभीवनाच सू० २९ ।। १४९ ।।

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